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लाइन ऑफ़ क्रेडिट क्या है? जानिए यह बिजनेस लोन से कैसे अलग है

by
admin
Posted on
Apr 10, 2023
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बिजनेस बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उसमें पैसा इनवेस्ट किया जाए. यह इनवेस्टमेंट या तो आप अपने बैंक बैलेंस से कर सकते हैं या किसी से उधार लेकर. इसके अलावा एक तीसरा रास्ता भी हो जो सबसे अधिक लोकप्रिय है, वह है बिजनेस लोन का. हर बैंक कारोबारी को उसकी हैसियत और ईमानदारी के आधार पर बिजनेस लोन देता है. इसकी मदद से आप अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं. वहीं, आजकल एक और ऑप्शन प्रचलन में है, वह है लाइन ऑफ़ क्रेडिट का. यह भी एक तरह का लोन ही है. लाइन ऑफ़ क्रेडिट सबके लिए उपलब्ध है. वहीं, बिजनेस लोन व्यवसाय में लगे लोगों को मिलता है. आइए अब हम आपको बताते हैं कि बिजनेस लोन और लाइन ऑफ़ क्रेडिट में और क्या अंतर हैं. कैसे ये दोनों एक दूसरे से अलग हैं. 

लाइन ऑफ़ क्रेडिट क्या है? 

लाइन ऑफ़ क्रेडिट भी एक तरह का पर्सनल लोन ही है. पर्सनल लोन लेने के बाद आपको ब्‍याज समेत ईएमआई के रूप में पूरी रकम चुकानी होती है. वहीं, लाइन ऑफ़ क्रेडिट में आपको केवल उतनी ही रकम पर ब्‍याज देना होगा जितना आपने खर्च किया है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि आपको खर्च के लिए आपके एक दोस्त ने एक लाख रुपये से भरी थैली आपको उधार में दी है. इस थैली में से अगर आप 25 हजार रुपये खर्च कर देते हैं ,तो 25 हजार रुपए आपको ब्याज समेत चुकाने होंगे. बाकी के 75 हजार आपकी थैली में वैसे ही पड़े रहेंगे. उस 75 हजार पर आपको कोई ब्याज नहीं देना होगा. वहीं जब आप 25 हजार रुपये आप अपने मित्र को लौटा देंगे, तो वह उस थैली में 25 हजार रुपये फिर डाल देगा और ब्याज का पैसा मुनाफे के रूप में अपने पास रख लेगा. इसके आपकी थैली में फिर से एक लाख रुपये हो जाएंगे.  

जिस तरह आपकी इनकम और क्रेडिट स्‍कोर के आधार पर आपको कोई दूसरा लोन मिलता है,उसी प्रकार लाइन ऑफ़ क्रेडिट के तहत मिलने वाली राशि भी आपकी वित्तीय हैसियत और क्रेडिट स्‍कोर के आधार पर तय होती है.यह तीन हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपये तक या उससे अधिक भी हो सकती है. लाइन ऑफ़ क्रेडिट की शुरुआती लिमिट,उसपर ब्याज की दर और अन्य नियम बैंक या जारी करने वाला वित्तीय संस्‍थान ही तय करता है. इसे वह आपके रुपये लौटान के रिकॉर्ड को देखकर बढाता रहता है. लाइन ऑफ़ क्रेडिट पर ब्याज की दर आमतौर पर क्रेडिट कार्ड के ब्याज दर से कम होती है.

किसे मिलती है लाइन ऑफ़ क्रेडिट

लाइन ऑफ़ क्रेडिट केवल किसी इंडीविड्यूल को ही नहीं, बल्कि किसी कंपनी या किसी संस्था या किसी सरकार को भी मिल सकती है. सबके लिए यह एक उधार सीमा (borrowing limit) की तरह काम करती है. लाइन ऑफ़ क्रेडिट कई अलग-अलग रूप हैं. आपके बैंक अकाउंट से जुड़ी ओवरड्रॉफ्ट लिमिट भी एक तरह की लाइन ऑफ़ क्रेडिट ही है. इसी तरह डिमांड लोन, स्पेशल पर्पज, एक्सपोर्ट पैकिंग क्रेडिट, टर्म लोन, पर्चेज ऑफ कमर्शियल बिल रिवाल्विंग क्रेडिट कार्ड अकाउंट भी लाइन ऑफ़ क्रेडिट की ही तरह काम करती है.  

लाइन ऑफ़ क्रेडिट के फायदे 

किसी भी तरह की जरूरत आने पर पैसे खर्च करने की सुविधा मिलती है. केवल उसी रकम पर ब्याज देना होगा जिसे आपने खर्च किया है. उस पैसे पर कोई ब्याज नहीं लगेगा जिसे आपने खर्च नहीं किया है. खर्च न करने पर कोई पेनाल्टी भी नहीं लगती है. कुछ लाइन ऑफ़ क्रेडिट के साथ चेक या ड्राफ्ट जारी करने की भी सुविधा होती है. कुछ लाइन ऑफ़ क्रेडिट के साथ एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी मिलती है. 

लाइन ऑफ़ क्रेडिट के नुकसान

इस पर लगने वाली ब्याज दरें अधिक ऊंची होती हैं. लाइन ऑफ़ क्रेडिट का लाभ लेने से पहले आप अपनी जरूरत और उस समयावधि का मूल्यांकन कर लें जितने के लिए आपको पैसा चाहिए. पर्सनल लोन आपको कम ब्याज पर मिल सकता है, लेकिन लाइन ऑफ़ क्रेडिट पर ब्याज दरें उससे अधिक होती हैं. इसलिए सेविंग,करंट या सैलरी अकाउंट पर मिलने वाले ओवरड्राफ्ट पर ब्याज की दर कम हो तो वे लाइन ऑफ़ क्रेडिट से अच्छा विकल्प हो सकते हैं. लाइन ऑफ़ क्रेडिट में देरी से लौटाने पर पेनल्टी भी लगता है. 

बिजनेस लोन

अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने,उसके लिए मशीने खरीदने, मैन पॉवर बढ़ाने,नया कैंपस खोलने, नया ऑफ़िस खोलने जैसे काम के लिए पैसा जरूरी है. अगर आपको बिजनेस लोन लेना है, तो इसके लिए आप अपने बैंक बैलेंस का इस्तेमाल करें और अगर अगर वह नहीं है तो आप बिजनेस लोन या व्यापार ऋण ले सकते हैं.आइए हम आपको बताते हैं कि बिजनेलाइन ऑफ़ क्रेडिट क्या है? जानिए यह बिजनेस लोन से कैसे अलग हैस लोन कैसे (business loan kaise le)लें.प्राइवेट और सरकारी बैंकों के अलावा नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFC) भी बिजनेस लोन देती हैं. बिजनेस लोन सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड, दोनों तरह का मिलता है. 

महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए महिलाओं को भी बिजनेस लोन मिलता है. महिलाओं के लिए लघु उद्योग, महिलाओं के लिए घरेलू बिजनेस, ब्यूटी पार्लर, सैलून या स्पा के अलावा लेडीज के लिए भी घर बैठे बिजनेस के लिए लोन मिलता है. उन्हें बिजनेस में रोजाना होने वाले खर्चों को पूरा करने, प्लांट और मशीनरी खरीदने आदि के लिए भी बिजनेस लोन मिलता है. उनके लिए ब्याज दरें भी अलग होती हैं. यह प्रोफेशनल, छोटे और मध्यम व्यवसाय (MSME), प्राइवेट और पब्लिक लिमिटेड कंपनियों, पार्टनरशिप फर्म, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, कंस्ट्रक्शन कंपनियों, व्यापारियों, सर्विस क्षेत्र की कंपनियों, फैशन डिजाइनर आदि को मिलता है. 

बिजनेस लोन के प्रकार

बैंक और एनएफबीसी टर्म लोन (Term Loan), वर्किंग कैपिटल लोन (Working Capital Loan), लेटर ऑफ़ क्रेडिट (Letter of Credit), पॉइंट ऑफ़ सेल (POS) लोन और ओवरड्राफ्ट लोन (Overdraft Loan) के रूप में बिजनेस लोन देते हैं. बिजनेस लोन के लिए आपका बैलेंसशीट और मार्केट में आपकी साख बहुत महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही बिजनेस लोन देने से पहले यह भी देखा जाता है कि आपका सिबिल स्कोर कितना (cibil score kitna hona chahiye) है. बिजनेस लोन नए बिजनेस के लिए भी मिलता है. बिजनेस लोन के लिए बैंक यह देखता है कि आपकी भुगतान क्षमता कैसी है. लोन मंजूर करने से पहले बैंक यह देखता है कि आपका बिजनेस कब से चल रहा है, आपका टर्नओवर कितना है, आपने पहले लिया लोन कब और कैसे चुकाया है.

बिजनेस लोन की फीस और ब्याज

बिजनेस लोन के लिए बैंक और एबीएफसी प्रॉसेसिंग फीस भी लेते हैं. यह सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड दोनों तरह के बिजनेस के लिए अलग-अलग होती है. आमतौर पर बैंक सिक्योर्ड बिजनेस में लोन अमाउंट का 1 परसेंट और अनसिक्योर्ड बिजनेस में 2 परसेंट की प्रॉसेसिंग फीस लेते हैं. बिजनेस लोन का ब्याज अलग-अलग बैंक अलग-अलग दर से लेते हैं. यह  10 परसेंट सालाना से लेकर 18-20 परसेंट सालाना तक हो सकती है. बैंक इसे आवेदक की क्रेडिट प्रोफाइल के आधार पर तय करते हैं. बिजनेस लोन पर ब्याज सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड बिजनेस दोनों में अलग-अलग होता है.