अपने बिज़नेस लोन की अवधि कैसे चुनें
Apr 19, 2023
हर तरह के बिजनेस को समय-समय पर अतिरिक्त फंड की जरूरत होती है। यह बिजनेस की जरूरतें पूरी करने के लिहाज से अहम है। फंडिंग की ये जरूरतें बिजनेस के प्रकार पर भी निर्भर करती हैं। इसमें देखना होता है कि बिजनेस में कैपिटल इन्सेन्टिव है या नहीं या फिर वह ग्रोथ के किस दौर में है। अधिकांश बिजनेस को शुरुआती दौर में ही लोन की जरूरत होती है।
बिजनेस लोन की अवधि चुनते समय आपको अपनी जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। आपको यह आकलन करना चाहिए कि आप लोन किस उद्देश्य से ले रहे हैं और उसका भुगतान करने के लिए आपको कितने समय की जरूरत पड़ेगी। ऐसा नहीं है कि हर तरह का लोन आपके हिसाब से आपको भुगतान की अवधि में छूट देगा। नीचे अलग-अलग तरह के लोन के बारे में बताया गया है। इनको समझकर आप यह तय कर सकते हैं कि आपके लिए कौन सा मुफीद है।
टर्म लोन
बिजनेस फाइनेंस का सबसे आम तरीका टर्म लोन है। यह सेक्योर्ड और अनसेक्योर्ड भी हो सकता है। कितना लोन मिलेगा यह क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है। इनकी अवधि तय होती है। अनसेक्योर्ड बिजनेस लोन होने पर अवधि एक से पांच साल की होती है। सेक्योर्ड बिजनेस लोन होने पर अवधि 15 से 20 साल होती है।
वर्किंग कैपिटल लोन
वर्किंग कैपिटल लोन कारोबारी, स्टार्ट-अप, एमएसएमई लेते हैं। इसका इस्तेमाल रोज की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें कैश फ्लो बनाए रखना, कच्चा माल खरीदना, बिजनेस को बढ़ाना वगैरह शामिल है। ये लोन शॉर्ट टर्म वाले होते हैं। इनकी अवधि 12 महीने की होती है। बिजनेस की जरूरतों के हिसाब से अवधि बढ़ सकती है।
लेटर ऑफ क्रेडिट (Letter of Credit)
यह भी बिजनेस लोन का ही एक प्रकार है। यह एक तरह की क्रेडिट लिमिट है। इसे इंटरनेशनल ट्रेड करने वाले बिजनेस इस्तेमाल करते हैं। यह एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट दोनों के लिए काम आता है। यह ऐसे बिजनेस में काम आता है जहां सप्लायर पहचान वाला नहीं होता है। ऐसे में लेटर ऑफ क्रेडिट सप्लायर को पेमेंट का भरोसा दिलाने में अहम भूमिका निभाता है। कभी-कभी विदेशी खरीदार 30 से 90 दिन का क्रेडिट पीरियड मांगते हैं। हालांकि सरकारी नियमों के मुताबिक यह अवधि 180 दिनों से अधिक की नहीं हो सकती है।
बिल डिस्काउंटिंग (Bill Discounting)
बिल या इनवॉइसिंग डिस्काउंट एक तरह की फंडिंग सुविधा है। इसमें सेलर को कर्ज देने वाले से एडवांस में डिस्काउंटेड अमाउंट मिलता है। इसमें खरीदने वाले से इंटरेस्ट लिया जाता है। साथ ही मंथली फीस भी ली जाती है। इसमें अनपेड इनवॉइस पर 90 दिनों तक के लिए फंड लिया जा सकता है। वहीं बिल डिस्काउंटिंग की मियाद 30 से 120 दिनों की होती है।
ओवरड्राफ्ट सुविधा
ओवरड्राफ्ट सुविधा भी फंडिंग का एक प्रकार है। इसमें जीरो बैलेंस होने पर भी अकाउंट होल्डर को रकम निकालने की सुविधा मिलती है। इसमें हर दिन के हिसाब से ब्याज देना पड़ता है। इसमें भी उसकी आमउंट पर इंटरेस्ट देना पड़ता है जिसका इस्तेमाल किया गया है। इसमें अकाउंट होल्डर के बैंक से संबंध के आधार पर ओवरड्राफ्ट की रकम तय की जाती है। ओवरड्राफ्ट लिमिट को हर साल बदला जाता है। ऐसा तब होता है जब ब्याज समय से दिया जाता है। इसकी अवधि कुछ महीनों से लेकर दो साल तक हो सकती है।
इक्वीपमेंट फाइनेंस (equipment finance)
इक्वीपमेंट फाइनेंस या मशीनरी लोन नई मशीन या इक्वीपमेंट लेने के लिए दिया जाता है। इसमें पुरानी मशीन को अपग्रेड करना भी शामिल है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर बड़े बिजनेस करते हैं। खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में। इसमें टैक्स में छूट भी मिलता है। इस तरह के लोन में ब्याज की दर, लोन अमाउंट और भुगतान की अवधि अलग-अलग होती है। इक्यूपमेंट फाइनेंस की अवधि आम तौर पर 60 महीने की होती है।
प्रॉपर्टी पर लोन
प्रॉपर्टी के एवज में लोन तब उपयुक्त होता है जब बिजनेस ₹ 50 लाख से अधिक की लोन राशि की मांग करते हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह लोन किसी प्रोपर्टी की सिक्योरिटी के एवज में दिया जाता है। प्रॉपर्टी पर लोन की अवधि 10 से 20 साल के बीच होती है। प्रॉपर्टी के एवज में लोन के लिए योग्य होने की खातिर आवेदक को प्रॉपर्टी गिरवी रखनी पड़ती है। कमर्शियल या आवासीय किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लोन प्राप्त किया जा सकता है। कर्ज देने वाला लोन के माध्यम से संपत्ति के मूल्य का 70% तक प्रदान करता है। इस प्रकार के बिजनेस लोन का लाभ उठाने के लिए, उधारदाताओं को विशेष रूप से यह पक्का करना चाहिए कि संबंधित प्रॉपर्टी किसी भी प्रकार के मुकदमेबाजी से मुक्त हो।
बिजनेस लोन की अवधि चुनते समय इन बातों का रखें खयाल
बिजनेस लोन के लिए अवधि को बहुत सावधानी के साथ चुनना पड़ता है। बिज़नेस लोन के लिए अप्लाई करने से पहले, अपनी कर्ज चुकाने के अपने सामर्थ्य का आकलन जरूर करें। जब आपके बिजनेस लोन को चुकाने की बात आती है, तो समय ही सब कुछ है। जब भी आपका मासिक भुगतान बकाया हो, आपके पास पर्याप्त रकम उपलब्ध होनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आपके व्यवसाय पर गंभीर वित्तीय दबाव पड़ सकता है। इस पर विचार करें कि आपको कर्ज चुकाना है और आप इसे समय पर भुगतान करने में सक्षम हैं।
आपको अपने व्यवसाय की कैश फ्लो जरूरतों का सटीक विश्लेषण करना चाहिए और पूर्वानुमान लगाना चाहिए। साथ ही, पक्का करें कि आप अपनी ज़रूरत से ज़्यादा उधार न लें। एक ऐसी कर्ज अवधि चुनें जो आपके बजट के अनुकूल हो और एक ऐसी कर्ज राशि के लिए आवेदन करें जिसे आप अपने व्यवसाय के वित्त पर दबाव डाले बिना आसानी से चुका सकते हैं।
मौजूदा और भविष्य की वित्तीय स्थिति का पता लगाएं
अगर आप अभी शुरू कर रहे हैं और आपका अल्पकालिक व्यवसाय नकदी प्रवाह अनिश्चित है, तो आप अपने आप को अधिक समय देना चाह सकते हैं। उस स्थिति में, लंबी अवधि की अवधि अधिक मायने रखती है क्योंकि आपके पास कर्ज चुकाने के लिए अधिक समय होगा।
पता करें कि आपको किस तरह के लोन की जरूरत है
ज्यादातर मामलों में, कर्ज देने वाला अलग-अलग रूपों में SME कर्ज प्रदान करते हैं – टर्म लोन, वर्किंग कैपिटल लोन, ओवरड्राफ्ट, कैश क्रेडिट, और बहुत कुछ। यहां, आपकी लोन अवधि इस बात पर भी निर्भर करेगी कि आपने किस तरह का लोन लिया है। उदाहरण के लिए, वर्किंग कैपिटल कर्ज आम तौर पर 12 महीने तक की अवधि के साथ शॉर्ट टर्म लोन होते हैं। और एक टर्म लोन 12 महीने से 60 महीने के पुनर्भुगतान टेन्योर के साथ आता है।
इस तरह, आपको यह भी तय करना होगा कि आप किस प्रकार के बिजनेस लोन के लिए योग्य हैं। अक्सर, नए व्यवसाय को वित्तीय इतिहास की कमी की वजह से लंबी अवधि का लोन मिलने में मुश्किलें आ सकती हैं। इस मामले में, छोटी अवधि का चयन करना आपका एकमात्र विकल्प हो सकता है। लेकिन, अगर आपका जमा-जमाया बिजनेस है, तो आप लंबी अवधि के बारे में विचार कर सकते हैं। हमेशा कोशिश करें कि लोन की अवधि लंबी हो, ताकि आपको मासिक ईएमआई चुकाने में ज्यादा परेशानी न आए।