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टीडीएस(TDS) क्या होता है

by
admin
Posted on
Aug 13, 2022
TDS

टीडीएस(TDS) पर बात करने पर सबसे पहला सवाल आता है कि टी डी एस होता क्या है? टीडीएस कितना प्रतिशत कटता है? असल में टीडीएस एक टैक्स अमाउंट होता है जो कंपनी या एंपलॉयर काटता है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में उस व्यक्ति या एम्पलाई की तरफ से जमा कर दिया जाता है। 

टीडीएस का फुल फॉक्म (TDS full form in Hindi)

टीडीएस का फुल फॉर्म होता है टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स। यानी आदमनी के सोर्स पर ही टैक्स कट जाना। आइए जानते हैं क्या होता है टीडीएस और कितने तरह के टीडीएस होते हैं। साथ ही टीडीएस का रेट क्या है? टीडीएस रिटर्न के लिए कैसे ऑनलाइन फाइल कर सकते हैं? इन सारे सवालों के जवाब।

क्या होता है टीडीएस (TDS kya hota hai in Hindi)

टीडीएस टैक्स की एक राशि होती है जो आपके नियोक्ता द्वारा काटी जाती है और उनके स्थान पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस राशि का भुगतान किया जाता है। टीडीएस रेट हर व्यक्ति के लिए अलग अलग होता है। इसे तय करने के लिए अलग अलग फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है जैसे भुगतान कर्ता की उम्र और उसकी कमाई कितनी हो रही है। आइए आज के आर्टिकल से जानते हैं टीडीएस यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स के बारे में।

क्या है टीडीएस? (tds kya hai)

टीडीएस या फिर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स तब काटा जाता है जब एक पेमेंट जैसे सैलरी, कमीशन, रेंट, इंटरेस्ट, प्रोफेशनल फीस आदि भरी जाती है। जो व्यक्ति यह पेमेंट करता है वह टैक्स एट सोर्स को घटाता है। जो व्यक्ति यह पेमेंट प्राप्त करता है, उसकी टैक्स भरने की जिम्मेदारी होती है। यह टैक्स इवेशन को कम करता है क्योंकि टैक्स पेमेंट के समय पर ही एकत्रित किया जाता है।

टीडीएस में किन किन चीजों की छूट होती है? 

2022 के यूनियन बजट में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने घोषणा की कि रीयल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को दी जाने वाली डिविडेंड पर यह टैक्स नहीं लगेगा। इससे टैक्स से जुड़े नियमों का अनुपालन करने में लोग मदद करेंगे। एक प्रस्ताव यह भी था कि डिविडेंड इनकम पर या फिर पेमेंट या डिविडेंड देने के बाद टैक्स एडवांस में लिया जाए।

टीडीएस कब काटा जाता है, टीडीएस कितना प्रतिशत कटता है और इसे काटने के लिए कौन जिम्मेदार होता है?

  • अगर आप इनकम टैक्स एक्ट के अंतर्गत आने वाली कोई भी पेमेंट कर रहे हैं तो पेमेंट करने के समय टीडीएस कटेगा। अगर आप हिंदू अनडिवाइड फैमिली, एक अकेले व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी किताबों का ऑडिट करने की जरूरत नहीं है तो आपको यह टैक्स कटवाने की जरूरत नहीं है।
  • किसी व्यक्ति या फिर हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के सदस्य हैं और रेंट का भुगतान कर रहे हैं और अमाउंट 50 हजार से ज्यादा है तो 5% टैक्स कटेगा चाहे बेशक आपकी किताबों का ऑडिट करने की जरूरत न हो। अगर आपका टीडीएस 5% काट रहा हो तो आपको टैक्स डिडक्शन एकाउंट नंबर के लिए एप्लाई करने की जरूरत नहीं है।
  • अगर आप किसी के लिए प्रोफेशनल काम कर रहे हैं  तो आपका एंप्लॉयर, इनकम टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से आपका टैक्स कटेगा। जिस बैंक में आपका खाता है, वह आपके टीडीएस के 10% काटेगा। अगर उनके पास आपकी टीडीएस डिटेल्स नहीं हैं तो वह 20% टीडीएस भी काट सकते हैं। अधिकतर पेमेंट के लिए एंप्लॉयर आप जिस स्लैब में आते हैं इस हिसाब से ही पेमेंट काटेगा।
  • अगर आप अपने निवेश के सबूत एंप्लॉयर को दिखाते है और अगर आपकी टैक्स होने वाली टोटल इनकम टोटल टैक्सेबल थ्रेशोल्ड से कम है तो आपको टैक्स भरने की कोई जरूरत नहीं है। अगर टोटल टैक्सेबल इनकम टोटल टैक्सेबल लिमिट से कम हैं तो फॉर्म 15g और फॉर्म 15H को बैंक में जमा कर सकते हैं। इस केस में आपका बैंक इंटरेस्ट इनकम पर कोई टीडीएस नहीं कटेगा।
  • अगर आप अपने एंप्लॉयर के पास इन्वेस्टमेंट प्रूफ सबमिट नहीं कर पाते हैं और बैंक टीडीएस काट लेता है तो आप रिटर्न फाइल कर सकते हैं और रिफंड के लिए भी क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए आपकी टोटल टैक्सेबल इनकम टोटल टैक्सेबल लिमिट से कम होनी चाहिए।

टीडीएस को समझें (What is tds in hindi

उदाहरण के तौर पर कोई स्टार्ट अप कंपनी प्रॉपर्टी के मालिक को हर महीने 90 हजार रुपए रेंट के देती है। इस अमाउंट पर 10% टीडीएस लागू होता है। इसलिए 9 हजार कम करने के बाद 81 हजार रुपए बचते हैं। अब मालिक 90 हजार में ग्रास अमाउंट एड कर सकता है जिससे वह 9 हजार का उधार ले सकता है क्योंकि कंपनी ने  पहले ही इतने रुपए काट लिए हैं।

टीडीएस के प्रकार

  • सैलरी
  • एलआईसी के अंतर्गत आने वाला अमाउंट
  • बैंक इंटरेस्ट
  • ब्रोकरेज और कमीशन
  • कमीशन पेमेंट
  • इमोवेबल प्रॉपर्टी पर आने वाली कंपनसेशन 
  • कांट्रेक्टर पेमेंट
  • डीम की गई डिविडेंड 
  • इंश्योरेंस कमीशन
  • सिक्योरिटी पर लगने वाले इंटरेस्ट के अलावा इंटरेस्ट
  • सिक्योरिटी पर लगने वाला इंटरेस्ट
  • रेंट पर की गई पेमेंट
  • कंपनी के डायरेक्टर को दी जाने वाली सैलरी
  • इमोवेबल प्रॉपर्टी का ट्रांसफर
  • क्रॉस वर्ड पजल, लॉटरी आदि जैसे गेम से मिलने वाली राशि 

सैलरी पर क्या टीडीएस रेट है?

  • जितना टैक्स स्लैब हर व्यक्ति पर लागू होता है उतना ही टीडीएस भी है। अगर आपकी उम्र 60 साल से कम है तो और आपकी इनकम 2.5 लाख से कम है तो टीडीएस लायबिलिटी नील होगी। जो लोग 2.5 लाख से 5 लाख के बीच कमाते हैं वह 5% टीडीएस के लिए उपयुक्त होंगे। जिनकी इनकम 5 लाख से 10 लाख के बीच होगी वह 20% टीडीएस लगने के जिम्मेदार होंगे और जिनकी इनकम 10 लाख से ज्यादा होगी उनको 30% टीडीएस का भुगतान करना पड़ेगा।
  • नए टैक्स रेजीम के अनुसार, अगर सालाना इनकम 2.5 लाख है तो किसी तरह के टीडीएस के भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। अगर सालाना इनकम 2.5 लाख से 5 लाख के बीच है तो 5% टटीडीएस लगेगा। अगर सालाना इनकम 5 लाख से 7.5 लाख है तो 10% टीडीएस के लिए लायबल होंगे। अगर सालाना इनकम 7.5 लाख से 10 लाख के बीच हुई तो 15% टीडीएस लगेगा। अगर यह इनकम 10 लाख से 12.5 लाख हुई तो टीडीएस लायबिलिटी 20% होगी। अगर सालाना इनकम 12.5 लाख से 15 लाख हुई तो टीडीएस लायबिलिटी 25% होगी और अगर 15 लाख से ऊपर हुई तो टीडीएस 30% कटेगा।

टीडीएस रिटर्न ऑनलाइन कैसे फाइल  कर सकते हैं?

  • आपके पास वैलिड टैक्स डेडक्शन और कलेक्शन अकाउंट नंबर होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए की यह ई फाइलिंग के लिए रिजीस्टर्ड हो।
  • फाइल वैलीडेशन यूटिलिटी को वैलीडेट करवाने से पहले रिटर्न प्रिपरेशन यूटिलिटी का प्रयोग करते हुए टीडीएस स्टेटमेंट प्रिपेयर कर लें।
  • वैलिड डिजिटल सिग्नेचर सेरिटिफिकेट का होना भी बहुत जरूरी है।
  • डी मैट अकाउंट या बैंक अकाउंट डिटेल्स प्रदान करें और पैन कार्ड को आधार से जरूर लिंक करवाए अगर इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड से रिटर्न अपलोड करना चाहते हैं तो।