जानिए बिज़नेस लोन के फायदे और नुकसान एवं लघु उद्योग रजिस्ट्रेशन केसे करे
Jul 09, 2022
बिज़नेस लोन के फ़ायदे और नुक़सान जानने से पहले हमें अपने व्यवसाय और उसकी ज़रूरतों के साथ-साथ बिज़नेस लोन के बारे में ठीक से समझ लेना चाहिए कि यह होता क्या है। साथ ही, यह भी जानना चाहिए कि हमारे कारोबार में बढ़ोतरी के लिए या अन्य ज़रूरतें पूरी करने के लिए यह किस तरह से मददगार साबित हो सकता है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि जो लोन हम अपने बिज़नेस की बढ़ोतरी के लिए या नए बिज़नेस स्टार्टअप के लिए लेते हैं, वे सारे लोन बिज़नेस लोन की श्रेणी में आते हैं।
दरअसल बिज़नेस लोन दो प्रकार के होते हैं, सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन। सिक्योर्ड लोन के लिए आवेदक बैंक के पास कोई सिक्योरिटी या किसी गारंटी को गिरवी रखता है, जबकि अनसिक्योर्ड लोन के लिए बैंक या NBFC को कोई सिक्योरिटी अथवा गारंटी देने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
छोटे व्यवसाय की शुरुआत के लिए या बिज़नेस की अन्य ज़रूरतों के लिए बिज़नेस लोन के तहत न्यूनतम पच्चीस से तीस हजार रुपए तक के लोन दिए जाते हैं। लिहाजा, इस तरह के छोटे बिज़नेस लोन अधिकतर NBFC या स्मॉल फाइनेंस बैंकों द्वारा दिए जाते हैं।
अमूमन ऐसा देखा जाता है कि बैंक और NBFC अधिकतर अनसिक्योर्ड बिज़नेस लोन ही ऑफ़र करते हैं। अनसिक्योर्ड लोन में जैसे ओवरड्राफ़्ट, टर्म लोन, वर्किंग कैपिटल लोन, सरकारी योजनाओं के अंतर्गत आने वाले लोन आदि। ज़रूरत पड़ने पर बैंक अपने ग्राहकों के लिए सिक्योर्ड लोन भी देते हैं जैसे, लैटर ऑफ़ क्रेडिट, POS लोन, बिल डिस्काउंटिंग, इक्विपमेंट फ़ाइनेंस आदि। बिज़नेस लोन में अनसिक्योर्ड लोन ज़रूरत के हिसाब से पच्चीस हज़ार से लेकर एक करोड़ तक भी लिया जा सकता है। बिज़नेस लोन के लिए आवेदक का क्रेडिट स्कोर बेहद महत्वपूर्ण होता है। इससे यह ज़ाहिर होता है कि आपका क्रेडिट रिकॉर्ड कैसा रहा रहा है।
अमूमन फ़ाइनेंशियल सेक्टर में किसी भी लोन के लिए 750 का क्रेडिट स्कोर अच्छा माना जाता है। हालांकि, क्रेडिट स्कोर 750 से कम होने पर भी बिज़नेस लोन मिलने की पूरी संभावना होती है।
बिज़नेस लोन के फ़ायदे
अब रही बात बिज़नेस लोन के फ़ायदों की, तो आइए देखते हैं कि बिज़नेस लोन आख़िर किस तरह से किसी भी व्यापार के लिए मददगार साबित होता है। बिज़नेस लोग के प्रमुख फ़ायदों में सबसे बड़ा फ़ायदा तो ये है कि उद्यमी को बग़ैर कुछ गिरवी रखे, ज़रूरत भर की पूंजी मिल जाती है, जिसे वो अपने उद्योग के लिए भरपूर इस्तेमाल कर सकता है। बहुत से लोग पूंजी न होने की वजह से अपना व्यापार शुरू नहीं कर पाते हैं या फिर उसका विस्तार नहीं कर पाते हैं। कई बार उनके पास एक से बढ़कर एक बेहतरीन और नए आइडियाज़ होने के बावजूद भी वो पूंजी की वजह से पीछे रह जाते हैं या फिर अपना व्यापार शुरू ही नहीं कर पाते। ऐसे में आसानी से मिल जाने वाला बिज़नेस लोन उनके लिए वरदान साबित होता है। जिसकी मदद से वो अपने सपनों की उड़ान भर पाते हैं और अपने व्यापार को सफलता के शिखर तक ले जाने में सफल भी हो जाते हैं। बिज़नेस लोन से उद्योग में विस्तार होता है जिससे रोज़गार का भी सृजन होता है। बिज़नेस लोन में ओवरड्राफ़्ट की सुविधा से सिर्फ उतनी ही धनराशि पर ब्याज देना पड़ता है जितनी आपने अपने उद्योग की ज़रूरतों के लिए ख़र्च की है। शेष धनराशि पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता। अगर क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो बिज़नेस लोन तीन से सात दिनों के भीतर भी मिल जाता है, जो किसी भी उद्यमी के लिए मददगार साबित होता है। बिज़नेस लोन हर उद्यमी को एक तरह से मोटिवेशन भी देता है कि कैसे पैसे से पैसा कमाया जाता है। यानी Money attracts Money.
बिज़नेस लोन के नुक़सान
जहां एक तरफ बिज़नेस लोन के फायदे ही फायदे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसका एक नुकसान भी है। उद्यमी को अपनी आय और ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए ही बिज़नेस लोन लेना चाहिए। कई बार हम देखते हैं व्यापारी अपनी ज़रूरत से और आय से ज़्यादा लोन ले लेते हैं जिसका नतीजा ये होता है कि वो बाद में लोन की EMI समय पर नहीं भर पाते और उन्हें ब्याज और अन्य नुकसान झेलने पड़ते हैं।
हम अक्सर देखते हैं कि आमतौर पर किसी भी स्टार्टअप से पहले कुछ ज़रूरी सवाल लोगों के जेहन में आते हैं। तो आइए हम उन सवालों पर भी बात कर लेते हैं।
लघु उद्योग कैसे शुरू करें? / गृह उद्योग कैसे शुरू करें?
लघु उद्योग अथवा गृह उद्योग शुरू करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए। इनमें सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात है सही व्यापार चुनना। कौन सा व्यापार शुरू करना है इसको लेकर बग़ैर किसी जल्दबाज़ी के ठीक-ठीक सोच विचार अवश्य कर लेना चाहिए। इसके बाद उस व्यापार से संबंधित सभी पहलुओं पर अच्छे से रिसर्च करना बेहद ज़रूरी होता है। लघु उद्योग शुरू करने से पहले इसका भी ध्यान रखना आवश्यक होता है कि लघु उद्योग जिस भी प्रोडक्ट या सर्विस से संबंधित हो उसकी डिमांड उस क्षेत्र में कितनी है। साथ ही इसका भी ध्यान रखना आवश्यक होता है कि उस बाज़ार में आपके प्रोडक्ट/सर्विस से संबंधित प्रतियोगिता कैसी है। लघु उद्योग के अंतर्गत कई प्रकार के उद्योग होते हैं। जैसे-
- मोबाइल रिपेयरिंग या रिचार्ज की दुकान
- जनरल स्टोर या किराना स्टोर
- आइसक्रीम शॉप
- ब्यूटीपार्लर
- इलेक्ट्रॉनिक शॉप
- खिलौनों की दुकान
- फ़र्नीचर बनाने का उद्योग
- रजाई गद्दे बनाने का उद्योग
- अगरबत्ती बनाना
अगर महिला गृह उद्योगों की बात करें तो यह सूची और भी बड़ी हो जाती है। महिला गृह उद्योगों में जिन उद्योगों का प्रमुखता से नाम आता है उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।
- मेंहदी लगाने की शॉप
- सिलाई संबंधित कार्य
- सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े उद्योग
- अचार बनाने का कार्य
- कोचिंग क्लासेज
- पापड़ उद्योग इत्यादि।
लघु उद्योग रजिस्ट्रेशन-
लघु उद्योग शुरू करने पर उसका रजिस्ट्रेशन कराना इसलिए ज़रूरी होता है क्योंकि इससे व्यापार का नाम सरकारी दस्तावेजों की लघु उद्योग सूची में दर्ज हो जाता है। इससे सरकार द्वारा लघु उद्योगों की मदद के लिए चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने में मदद मिलती है। साथ ही रजिस्टर्ड बिज़नेस को लोन लेने में भी सहूलियत मिल जाती है। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि लघु उद्योग रजिस्ट्रेशन कितने प्रकार का होता है। लघु उद्योगों का रजिस्ट्रेशन इन श्रेणियों के अंतर्गत होता है।
- GST रजिस्ट्रेशन कराना
- ज़िला उद्योग कार्यालय में रजिस्ट्रेशन
- निगम लाइसेंस लेना
- सेफ़्टी सर्टिफ़िकेट डिपार्टमेंट से एनओसी लेना
- फ़ैक्ट्री/कारोबार (लघु उद्योग) लाइसेंस लेना
– GST रजिस्ट्रेशन के लिए सरकारी नियमों के मुताबिक़ जिन बिज़नेस में सालाना टर्नओवर 40 लाख से अधिक होता है उनके लिए GST रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होता है। GST रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन भी अप्लाई किया जा सकता है। इसके लिए दिए गए लिंक पर जाकर ऑनलाइन रजिस्टर कर सकते हैं। https://reg.gst.gov.in
– ज़िला उद्योग कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कुछ बुनियादी काग़ज़ातों की ज़रूरत पड़ती है जिसमें आधार कार्ड, परमानेंट एड्रेस प्रूफ़ और आय प्रमाण पत्र प्रमुख हैं।
– निगम लाइसेंस नगर निगम, विकास प्राधिकरण या ज़िला उद्योग कार्यालय में बनता है। इस लाइसेंस इन बातों पर निर्भर करता है कि जो लघु उद्योग शुरु होगा, उसमें किस चीज की सर्विस होगी या मैन्युफैक्चरिंग होगी, कौन-कौन सी मशीनें लगेंगी इत्यादि।
निगम लाइसेंस के लिए इन दस्तावेज़ों की जरूरत पड़ती है:
1-ज़िला उद्योग कार्यालय में रजिस्ट्रेशन की कॉपी।
2-लघु उद्योग के प्लान की कॉपी- इसमें जिन मशीनों का उपयोग किया जाएगा उनका नाम और अन्य विवरण
3-जहां लघु उद्योग शुरु होगा उस जगह के मालिकाना हक़ की कॉपी। अगर जगह रेंट पर है तो उसके रेंट की कॉपी।
किसी भी कारोबार को शुरु करने के तीन में महीने के भीतर फ़ायर एंड सेफ़्टी डिपार्टमेंट से नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट (NOC) लेना अनिवार्य होता है। एनओसी (NOC) लेने के लिए संबंधित व्यक्ति को अपने लघु उद्योग में आग से बचने के उपाय के बारे में बताना होता है। साथ ही उसे डिपार्टमेंट के अधिकारियों के समक्ष अग्निशमन मशीनों की संख्या का भी विवरण देना होता है। हालांकि, कुछ लघु उद्योगों में इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है।
महिला गृह उद्योग रजिस्ट्रेशन-
महिला गृह उद्योग रजिस्ट्रेशन के लिए भी हम बाक़ी लघु उद्योगों की तरह ही सारी प्रक्रिया फ़ॉलो करते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए हम ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए हमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। और लघु उद्योग रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के अंतर्गत अपने व्यापार का पंजीकरण करना होता है। इससे व्यापार को मिलने वाली सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ तो मिलता ही है साथ ही साथ बिज़नेस लोन लेने में भी मदद मिल जाती है।
बिज़नेस को क़ानूनी तौर पर मान्यता तभी मिलती है जब उस बिज़नेस को CIF का लाइसेंस हासिल हो। बिजनेस लाइसेंस को चीफ़ इंस्पेक्टर ऑफ फैक्ट्रीज (सीआईएफ) का लाइसेंस भी कहा जाता है।
बिज़नेस लाइसेंस को संबंधित ज़िले का लेबर डिपार्टमेंट जारी करता है। इस लाइसेंस के बिना लघु उद्योग शुरु तो किया जा सकता है लेकिन अधिक दिन तक नहीं चलाया जा सकता है। इस लाइसेंस को पाने के लिए संबंधित कारोबारी को अपने कारोबार की पूरी प्रोफ़ाइल डिपार्टमेंट को दिखाने की ज़रूरत पड़ती है। लाइसेंस पाने के लिए अलग-अलग उद्योगों के लिए अलग-अलग मानक बनाए गए हैं। जिनमें कुछ उद्योगों में लाइसेंस के लिए जिन महत्वपूर्ण दस्तवेज़ों की ज़रूरत होती है वो निम्नलिखित हैं-
- फ़ायर डिपार्टमेंट का एनओसी।
- नगर निगम का लाइसेंस।
- एनवायरमेंटल कंसेंट कॉपी – इसे पर्यावरण विभाग जारी करता है। इसमें यह लिखा होता है कि शुरू किए जा रहे लघु उद्योग से पर्यावरण को कोई नुक़सान नहीं होगा।
- लघु उद्योग लेआउट के प्लान की कॉपी।
- सर्विस/मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस का फ़्लो चार्ट।
- कर्मचारियों की संख्या और प्रोफ़ाइल (मेल-फीमेल, स्किल्ड, सेमी या अनस्किल्ड) वेतन इत्यादि का विवरण।
दुकान का रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
दुकान के रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया जा सकता है। दुकान के रजिस्ट्रेशन के लिए बहुत ही बुनियादी काग़ज़ी दस्तवेज़ों की ज़रूरत पड़ती है। इसमें आवेदक की आधार कार्ड कॉपी, आवेदक के पैन कार्ड की कॉपी और व्यवसाय व व्यक्तिगत जानकारी का मूल विवरण देना होता है। अधिकांश राज्य सरकारों ने विधान सभा के माध्यम से अपने स्वयं के क़ानून पारित किए हैं या दुकानों और स्थापना पर कुछ अन्य राज्य सरकार क़ानूनों को अपनाया है।
दुकान के रजिस्ट्रेशन के लिए आप दिए गये वेबसाइट पर जाकर आसानी से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। https://udyamregistration.gov.in/Government-India/Ministry-MSME-registration.htm
मसाला उद्योग रजिस्ट्रेशन-
मसाला उद्योग के रजिस्ट्रेशन के लिए आपको बिज़नेस रजिस्ट्रेशन पूरी प्रक्रिया को फ़ॉलो करना पड़ता है। इसमें सबसे पहले तो आपको ROC का रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। हालांकि, छोटे स्तर पर घर से ही मसाले का उद्योग करने के लिए OPC यानी One Person Company का भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। मसाले के उद्योग के लिए आपको लोकल म्युनसिपल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस भी लेना होगा। इसके अलावा फ़ूड ऑपरेटर लाइसेंस व BIS सर्टिफ़िकेट लेना भी आवश्यक है। साथ ही मसालों के लिए ये ISI के विभिन्न दिशा-निर्देश उपलब्ध हैं, जिन्हें जानना आवश्यक होता है।
- Black whole and ground (काली मिर्च) ISI-1798-1961
- Chilli powder (मिर्च पाउडर) ISI-2445-1963
- Coriander powder (धनिया पाउडर) ISI-2444-1963
- Curry powder (करी पाउडर) ISI-1909-1961
- Turmeric powder (हल्दी पाउडर ) ISI-2446-1963
- Methods of sampling and test of Spices and condiment ISI-1997-196