फ्लैट इंटरेस्ट रेट बनाम रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट: सही विकल्प चुनें
Mar 10, 2025

भारत में बैंक और एनबीएफसी आवेदकों को कई तरह की वित्तीय सहायताएं देती हैं ।इन वित्तीय सहायताओं में एमएसएमई लोन, होम लोन, कॉरपोरेट लोन, और पर्सनल लोन शामिल हैं। जब हम लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो लोनदाता हमें दो विकल्प देता है: पहला विकल्प फ्लैट इंटरेस्ट रेट और दूसरा रिड्यूस्ड इंटरेस्ट रेट। कई बार हम फ्लैट इंटरेस्ट रेट बनाम रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट के अंतर को समझने में चूक जाते हैं। इसके कारण हमारे उधार की कुल लागत बढ़ जाती है और भविष्य में हम लोन लेने का विचार नहीं बना पाते हैं।
जब कभी आप लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो आपको ब्याज दर के बारे में भली-भांति पता होना चाहिए। ब्याज दर यह निर्धारित करती है कि आप उधार ली गई मूल राशि के अलावा कितना भुगतान करेंगे। ब्याज दरें दो प्रकार की होती हैं – फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट। इनके बीच का अंतर समझना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह आपके उधार लेने की लागत और ईएमआई चुकाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। इस लेख को ध्यान से पढ़ें और जानें कि फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट में क्या अंतर होता है।
फ्लैट इंटरेस्ट रेट क्या है
फ्लैट इंटरेस्ट रेट एक तरह की ब्याज है जिससे लोन की संपूर्ण राशि पर कैलकुलेट किया जाता है। यदि आपने बिजनेस लोन के लिए आवेदन किया है, तो आपकी ब्याज दर लोन अवधि तक एक समान रहेगी। ज्यादातर फ्लैट इंटरेस्ट रेट को रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट की तुलना में अधिक माना जाता है।
बकाया राशि को ध्यान में रखे बिना फ्लैट इंटरेस्ट रेट को मूल राशि पर लोन की पूरी अवधि के लिए कैलकुलेट किया जाता है। दूसरे शब्दों में, आप हर महीने सामान ब्याज दर का भुगतान करेंगे, चाहे आपका मूल आपकी ईएमआई पेमेंट के साथ कम होता जाए।
निम्नलिखित उदाहरण को समझें
आप 5 साल की अवधि के लिए 12% प्रतिवर्ष की फ्लैट ब्याज दर पर ₹1000000 का बिजनेस लोन लेते हैं आइए समझते हैं कि आपकी ईएमआई की कैलकुलेशन की गणना कैसे होगी।
मासिक ईएमआई = [मूलधन + मूल x ब्याज दर x समय अवधि)]/ समय अवधि महीनों में
= [10,00,000 + (10,00,000 x 12% x 5)] / (5 x 12)
= [10,00,000 + 6,00,000] / 60
= 16,00,000 / 60
= ₹26,667/ per month
लाभ
- आसान गणना
फ्लैट इंटरेस्ट रेट की गणना करना बेहद आसान है। जो बिजनेस लोन फ्लैट इंटरेस्ट रेट के आधार पर लिए जाते हैं, वे ज्यादा पारदर्शी होते हैं और लोनदाता तथा उधारकर्ता दोनों इस तरह की ब्याज को आसानी से कभी भी जान सकते हैं। वित्तीय संस्थान जैसे गांव की बैंक, स्वयं सहायता समूह, ASCA, फ्लैट इंटरेस्ट रेट पर एमएसएमई लोन और कॉरपोरेट लोन उपलब्ध कराते हैं।
- फ्लैट रेट लोन किसानों की वित्तीय जरूरत को पूरा करता है।
उधारकर्ता जिसमें प्रमुखता किसान शामिल होते हैं वह ज्यादातर ऐसा लोन चाहते हैं जो गुब्बारा भुगतान स्वीकार करे। इसीलिए वह फ्लैट रेट कैलकुलेशन को आसानी से समझ पाते हैं।
- फ्लैट रेट लोन वस्तुगत लोन लेनदेन के पक्ष में है।
मुद्रा के अविष्कार से बहुत पहले फ्लैट रेट इंटरेस्ट की अवधारणा ने जन्म लिया। इसीलिए इसको उधार ली गई राशि को चुकाने के लिए आसान तरीका समझा जाता है।
दोष
- ऊंची ब्याज दर
क्योंकि फ्लैट इंटरेस्ट रेट विधि के अनुसार ब्याज दर की मूल राशि पर गणना की जाती है ना कि घटते हुई उधार राशि पर, इसीलिए यह ऊंची ब्याज दर मानी जाती है। इसकी वजह से उधारकर्ता को लोन समय अवधि के दौरान ज्यादा ऋण चुकाना पड़ता है
- भ्रामक ब्याज दर
विज्ञापनों में दिखाई देने वाली फ्लैट दर वास्तविक ब्याज दरों से कम प्रतीत होती है। शुरुआत में उधारकर्ता लोन की वास्तविक लागत को कम आंक सकते हैं, लेकिन ऋण लेने के बाद जब उन्हें वास्तविकता का पता लगता है, तो महंगी ब्याज दर उन्हें निराश करती है।
- जल्दी उधार राशि लौटाने का कोई लाभ नहीं
अगर आपने लोन जल्दी चुका दिया है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप ब्याज दरों से बच जाएंगे। आपको तब भी अपने संपूर्ण मूलधन की राशि पर निश्चित समय के लिए ब्याज देना पड़ेगा।
- रिड्यूसिंग बैलेंस लोन से ज्यादा महंगा
रिड्यूसिंग बैलेंस लोन के अंतर्गत केवल बकाया राशि पर ही ब्याज लिया जाता है। वहीं, फ्लैट इंटरेस्ट लोन से उधारकर्ता के ऊपर अधिक वित्तीय बोझ पड़ता है।
रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट क्या है
रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट जिसे घटती हुई ब्याज दर के नाम से भी जाना जाते हैं, इसकी गणना बकाया मूल धनराशि पर की जाती है, जो कि हर ईएमआई भुगतान के साथ घटता है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि आप ईएमआई भुगतान के साथ अपनी ब्याज दर राशि को घटा सकते हैं। वहीं, अगर आपका मूलधन बढ़ता है, तो उसके साथ यह बढ़ भी जाता है।
आइए निम्नलिखित उदाहरण से इसको समझें :
आप 5 साल की अवधि के लिए 12% प्रति वर्ष की रिड्यूसिंग ब्याज दर पर ₹1000000 का बिजनेस लोन लेते हैं।
हर किस्त के साथ भुगतान किए जाने वाला ब्याज = (वास्तविक उधार राशि x वर्ष संख्या x प्रतिवर्ष ब्याज दर)/ किस्तों की संख्या
= ₹22,244/ per month
लाभ
- कम ब्याज लागत
इस विधि के अंतर्गत केवल बकाया राशि पर ब्याज लगाया जाता है, जिसमें समय के साथ लोन का भुगतान करके आप ब्याज को कम कर सकते हैं। फ्लैट ब्याज दर पद्धति की तुलना में यह कम रहती है।
- तीव्र लोन भुगतान
क्योंकि ईएमआई भुगतान के द्वारा आप अपने लोन की राशि का भुगतान करते हैं, आपकी ब्याज दर भी घटती चली जाती है।
- जल्दी पुनर्भुगतान को प्रोत्साहन
जल्दी पुनर्भुगतान करने से उधारकर्ताओं को लाभ होता है क्योंकि इससे वह सीधे तौर पर अपनी ब्याज दर को कम कर सकते हैं। जल्दी लोन राशि को चुकाकर वह लोन की ब्याज दर को भी देने से बच सकते हैं।
- पारदर्शी और निष्पक्ष गणना
इसके अंतर्गत ब्याज दर को वास्तविक शेष राशि पर समय-समय पर कैलकुलेट किया जाता है। यह उधार लेने वाले व्यक्ति के वित्तीय अनुशासन को दर्शाती है
- दीर्घकालीन लोन के लिए प्रभावी
यह ब्याज दर दीर्घकालीन लोन जैसे होम लोन जिसमें ब्याज दर की बचत काफी महत्वपूर्ण मायने रखती है उसको प्रभावित है। इसकी मदद से उधारकर्ताओं को ज्यादा वित्तीय बोझ का भार नहीं सहन करना पड़ता है
दोष
- शुरुआती महंगी ईएमआई
चूंकि बकाया राशि पर ब्याज दर की गणना की जाती है, इसीलिए इसके अंतर्गत शुरुआत की ईएमआई भी महंगी होती है। जिससे वे उधार लेने वाले व्यक्ति जिनके पास शुरुआत के दौर में सीमित वित्तीय संसाधन होते हैं, वे इसका वित्तीय बोझ नहीं सहन कर पाते हैं।
- जटिल ब्याज गणना
रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट विधि के अनुसार, हर महीने बकाया राशि पर ब्याज दर को गणित किया जाता है जिससे उधारकर्ताओं के लिए अपने ब्याज की कुल लोन राशि के बारे में गणना करना कठिन हो जाता है।
- शुरुआत के दौर में मूलधन में धीमी कमी
प्रारंभिक अवस्था में, ईएमआई का एक बड़ा हिस्सा मूलधन के पुनर्भुगतान के बजाय ब्याज में चला जाता है, इसका मतलब यह है कि बकाया राशि में कमी शीघ्र नहीं होती है।
- तुलनात्मक रूप से महंगी विज्ञापित ब्याज दर
रिड्यूसिंग ब्याज दर फ्लैट दर से अधिक महंगी होती है, चाहे इसकी कुल लागत कम आए। इसीलिए जो उधार लेने वाले व्यक्ति इन दोनों की गणना से अनभिज्ञ होते हैं, वह रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट को चुनना पसंद नहीं करते हैं।
- अल्पकालिक लोन के लिए संभावित महंगी लागत
अल्पकालीन लोन के लिए फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट तरीकों में ज्यादा अंतर नहीं है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, उधार लेने वाले को को रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट में फ्लैट रेट से ज्यादा ब्याज देना पड़ता है।
फ्लैट इंटरेस्ट रेट बनाम रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट
- ब्याज गणना: अगर आप मुद्रा लोन या बिजनेस लोन के लिए फ्लैट इंटरेस्ट रेट का चुनाव करते हैं, तो आपके मूलधन के आधार पर ब्याज दर की गणना की जाएगी। इस विधि के अंतर्गत, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपने कितना लोन चुका लिया है या फिर कितनी राशि बकाया है। वहीं दूसरी ओर, अगर आप रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट विधि को चुनते हैं, तो आपकी ब्याज दर को शेष राशि या बकाया मूलधन के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है।
- कुल ब्याज भुगतान: फ्लैट इंटरेस्ट रेट ज्यादातर घटती हुई ब्याज दरों के मुकाबले कम रहती है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि लोन लेने वाला व्यक्ति 12% फ्लैट इंटरेस्ट रेट और 18% रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन लेता है। हालांकि, अगर आप संपूर्ण लोन अवधि की गणना करें, तो आपको 18% घटती ब्याज दर की तुलना में 12% फ्लैट दर से अधिक ब्याज देना होगा।
- गणना: फ्लैट इंटरेस्ट रेट कैलकुलेटर के जरिए आप आसानी से अपनी फ्लैट रेट इंटरेस्ट रेट की गणना कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट की गणना करना बहुत जटिल है
- आकर्षक विकल्प: उधारकर्ता की दृष्टि से रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट फ्लैट इंटरेस्ट रेट की तुलना में एक अच्छा विकल्प होता है क्योंकि यह उन्हें अपनी लोन ईएमआई का पुनर्भुगतान करने में लचीलापन देता है। साथ ही, वह इसके जरिए अपने ब्याज के बोझ को भी कम कर सकते हैं।
किसे चुनें: फ्लैट इंटरेस्ट रेट या रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट
अगर आपको बिजनेस लोन के लिए फ्लैट इंटरेस्ट रेट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट में से एक का चुनाव करना है, तो आप निम्नलिखित कारकों पर विचार करें:
- लोन अवधि: अगर आपने लंबे समय के लिए लोन लिया है, तो आपके लिए रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट ज्यादा लाभदायक सिद्ध होगी क्योंकि समय के साथ यह आपकी ब्याज दर में कमी कर देगी।
- नकद प्रवाह: किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पूर्व अपने बिजनेस का कुल नगद प्रवाह का जरूर आकलन करें क्योंकि आपकी ब्याज दर आपके पुनर्भुगतान की क्षमता के साथ में मिलान करनी चाहिए।
- उधार की कुल लागत: आप बिजनेस लोन इंटरेस्ट कैलकुलेटर के जरिए दोनों विकल्पों के आधार पर लिए जाने वाले उधार की लागत के अंतर को जान सकते हैं।
- पूर्व भुगतान विकल्प: जानें कि क्या लोन देने वाली वित्तीय संस्था लोन और किसी भी संबंधित शुल्क शुल्क के पूर्व भुगतान की अनुमति देता है या नहीं। अगर आप रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट के साथ लोन लेते हैं, तो समय से पहले भुगतान करने से आप ब्याज देने से बच जाएंगे।
फ्लैट इंटरेस्ट रेट ओर रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट से संबंधित सामान्य गलतफहमियां
- फ्लैट इंटरेस्ट रेट का अर्थ है कम ईएमआई
कई उधार लेने वाले व्यक्ति यह मानते हैं, कि फ्लैट इंटरेस्ट लोन के जरिए वह ईएमआई को कम रख सकते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि इसके साथ उनकी भुगतान की गई कुल ब्याज दर ज्यादा रहेगी।
- रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट अपेक्षाकृत महंगी होती है
घटती हुई ब्याज दर विज्ञापनों में महंगी लग सकती है, लेकिन इसे हमेशा बकाया राशि पर कैलकुलेट किया जाता है जिसके कारण इसकी कुल लागत कम आती है।
- फ्लैट रेट लोन से आप जल्दी पुनर्भुगतान कर सकते हैं
दोनों ही तरीके से लोन लेने पर आपको एक निश्चित ईएमआई का भुगतान करना होता है। घटती हुई ब्याज दरों की मदद से आप मूलधन राशि का आसानी से और जल्दी पुनर्भुगतान कर सकते हैं।
निष्कर्ष
व्यवसाय लोन के लिए आवेदन करते समय फ्लैट और रिड्यूसिंग ब्याज दरों के बीच के अंतर को समझना बहुत आवश्यक है। दोनों के बीच चुनाव करते समय आपको अपने पुनर्भुगतान राशि की क्षमता, कुल लागत का अनुमान, अपने बिजनेस की आवश्यकताओं जैसे कारकों पर विचार करना चाहिए। इसके लिए आप हमारे बिजनेस लोन कैलकुलेटर का उपयोग करना ना भूलें। यदि आप बिजनेस लोन फंडिंग को आसान बनाना चाहते हैं, तो फ्लेक्सीलोन से संपर्क कीजिए।