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कैसे समझें कि आपके बिज़नेस को कितनी वर्किंग कैपिटल चाहिए?

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admin
Posted on
Jul 18, 2025

किसी भी व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए दैनिक खर्च करने पड़ते हैं और दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए हमें वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होती है। किसी भी बिजनेस में दैनिक खर्च काफी ज्यादा होते हैं। हमें दैनिक खर्चों के भुगतान के लिए वर्किंग कैपिटल का इंतजाम पहले से ही करना होता है, ताकि दैनिक खर्चे पूरे करते समय हमें कोई परेशानी ना हो। अगर वर्किंग कैपिटल नहीं होगी,तो हम अपने बिजनेस के खर्चों को भुगतान ही नहीं कर पाएंगे।

इसीलिए चाहे आपका व्यवसाय छोटा हो या फिर बड़ा, व्यवसाय को नियमित रूप से चलाने के लिए वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होगी। वर्तमान परिचालन संपत्ति और व्यवसाय की कुल देनदारी का अनुपात लगभग 1.5 से 2 तक होना चाहिए। कुछ बिजनेसमैन वर्किंग कैपिटल को मेंटेन नहीं कर पाते हैं और फिर व्यवसाय के खर्चों को पूरा करने के लिए उन्हें बिजनेस लोन की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण बिजनेस में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए बेहतर बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल मेंटेन जरूर करें। चलिए आगे विस्तार से जान लेते हैं कि वर्किंग कैपिटल क्या है, बिजनेस कैपिटल की आवश्यकता क्यों होती है और वर्किंग कैपिटल की गणना कैसे करें।  

वर्किंग कैपिटल क्या है?

चाहे आप किसी भी प्रकार का बिजनेस करें,हर प्रकार के बिजनेस में आपको रोजाना कोई ना कोई खर्च करने पड़ते हैं। जैसे बिजली का बिल, बिजनेस में इस्तेमाल होने वाले कुछ रॉ मैटेरियल का भुगतान, कर्मचारियों का वेतन, बिजनेस में इस्तेमाल होने वाले कुछ जरूरी सामान, फोन का बिल और अन्य सभी खर्चे करने ही पड़ते हैं। अगर हम पहले से ही अपने खर्चों का भुगतान करने के लिए अपना बजट बना ले, तो इसे ही वर्किंग कैपिटल कहा जाता है।

वर्किंग कैपिटल में से ही हम दैनिक खर्चों का भुगतान करते हैं‌। बहुत बिजनेस ऐसे होते हैं, जो वर्किंग कैपिटल पर ध्यान ही नहीं देते हैं और अपने रेवेन्यू(Revenue) में से खर्च करते रहते हैं। जिसके कारण बाद में बिजनेस को काफी घाटा भी सहन करना पड़ता है। अगर आपको भी बिजनेस में घाटे से बचना है, तो वर्किंग कैपिटल का प्रबंधन अवश्य रखें। 

हर बिजनेस के हिसाब से वर्किंग कैपिटल अलग-अलग निर्धारित की जाती है। वर्किंग कैपिटल आपका बिजनेस पर निर्भर करती है। आपका बिजनेस जितना बड़ा होगा, उसी के आधार पर आपको रेशो(Ratio) मेंटेन करते हुए वर्किंग कैपिटल निर्धारित करनी होगी। ताकि भविष्य में रोजाना होने वाले खर्चों के लिए आप पहले से ही बजट बनाकर चलें। आगे विस्तार से जान लेते हैं कि वर्किंग कैपिटल की गणना हम किस प्रकार कर सकते हैं और कम वर्किंग कैपिटल के प्रभाव क्या है।

वर्किंग कैपिटल की गणना कैसे करें? 

वर्किंग कैपिटल क्या होती है, यह जानकारी तो आपको समझ में आ गई होगी। अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्किंग कैपिटल को किस प्रकार कैलकुलेट किया जाता है।‌ अगर आप वर्किंग कैपिटल को सही प्रकार से कैलकुलेट करना सीख जाएंगे, तो आप अपने बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल को सही तरीके से मेंटेन कर सकते हैं। अपने बिजनेस को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्किंग कैपिटल की गणना करना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

वर्किंग कैपिटल निकालने का फार्मूला

वर्किंग कैपिटल = शॉर्ट-टर्म एसेट्स – शॉर्ट-टर्म लायबिलिटीज

शॉर्ट टर्म ऐसेट(Short Term Asset)– कंपनी की जिन संपत्तियों को आने वाले 1 वर्ष के अंदर कंपनी के द्वारा नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है, उन्हें शॉर्ट टर्म ऐसेट कहा जाता है।

शॉर्ट टर्म लायबिलिटीज(Short Term Liabilities)-किसी भी कंपनी को 12 महीने के भीतर जिन भी खर्चो या दायित्व का भुगतान करना होता है, उन्हें शॉर्ट टर्म लायबिलिटी कहा जाता है।

चलिए हम आपको एक एग्जांपल के जरिए समझाते हैं कि किसी भी बिजनेस में हमें वर्किंग कैपिटल कम से कम कितनी रखनी होगी।

शॉर्ट टर्म ऐसेट – 100000

शॉर्ट टर्म लायबिलिटी – 60000

वर्किंग कैपिटल= शॉर्ट टर्म ऐसेट – शॉर्ट टर्म लायबिलिटी

100000-60000= 40000

कैपिटल फॉर्मला के माध्यम से आप वर्किंग कैपिटल की कैलकुलेशन कर सकते हैं। यदि वर्किंग कैपिटल का बैलेंस पॉजिटिव में आ रहा है, तो इसका मतलब यह होता है कि बिजनेस की करंट ऐसेट की वैल्यू देनदारी से अधिक है और आपके बिजनेस की वर्किंग कैपिटल कुल देनदारी का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है। जिस कारण आप अपने बिजनेस की हर जरूरत को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

अगर आपके वर्किंग कैपिटल का बैलेंस माइंस में आता है, तो इसका मतलब यह होगा कि आपका बिजनेस की देनदारी आपकी शॉर्ट टर्म एसेट से अधिक है और यह वर्किंग कैपिटल आपकी कुल देनदारी का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अगर वर्किंग कैपिटल का बैलेंस माइंस में आ रहा है, तो आपको जल्द से जल्द फंड या फिर किसी निवेशक की सहायता से निवेश अपने बिजनेस में करवाना होगा ताकि बिजनेस की जरूरत को फंड या निवेश के माध्यम से पूरा किया जा सके और बिजनेस को घाटा होने से बचाया जा सके।

वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता का मूल्यांकन कैसे करें? 

किसी भी बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल का निर्धारण करना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता का मूल्यांकन करते समय हमें कुछ सावधानी बरतनी होगी। अगर आप अपने बिजनेस के आधार पर वर्किंग कैपिटल का निर्धारण सही तरीके से करेंगे, तो आपको आने वाले समय में बिजनेस में परेशानी भी नहीं होगी। चलिए जान लेते हैं कि वर्किंग कैपिटल का निर्धारण करते समय हमें किन फैक्टर का ध्यान रखना होगा।

व्यवसाय का आकार

अगर आपका बिजनेस छोटे स्तर पर है, तो आपको वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता कम होगी। क्योंकि छोटे व्यवसाय में लिमिटेड ही खर्च होते हैं। यदि आपके बिजनेस का आकार बड़ा है, तो आपको वर्किंग कैपिटल का निर्धारण उसी हिसाब से करना होगा‌‌। ध्यान रहे कि आपके पास इतनी वर्किंग कैपिटल तो हो कि आप दैनिक खर्चों का भुगतान कर सके।

सूची प्रबंधन

किसी भी बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल का निर्धारण करते समय हमें इन्वेंटरी मैनेजमेंट को भी ध्यान में रखना होगा। क्योंकि इन्वेंटरी मैनेजमेंट भी एक ऐसा तत्व है,जो वर्किंग कैपिटल को काफी ज्यादा इफेक्ट कर सकता है।

नकदी प्रवाह चक्र

किसी भी कंपनी का कैश फ्लो सिस्टम भी कहीं ना कहीं वर्किंग कैपिटल को काफी ज्यादा इफेक्ट करता है‌। किसी निश्चित अवधि में बिजनेस में पैसे का आना और जाना कैश फ्लो सिस्टम कहलाता है। किसी भी बिजनेस में अगर पैसे अगर ज्यादा खर्च हो रहे है, लेकिन बिजनेस में पैसे कम आ रहे हैं, तो इससे कंपनी के खराब फाइनेंसियल कंडीशन के बारे में जानकारी मिलती है। अगर बिजनेस में पैसे अधिक आ रहे हैं और खर्च कम हो रहे है, तो इसका मतलब कंपनी मुनाफे में है‌।

व्यवसाय का विकास चरण

कुछ बिजनेस ऐसे होते हैं, जिनमें बहुत कम ग्रोथ देखने को मिलती है‌। अगर ग्रोथ कम है, तो बिजनेस का आकार छोटा ही होगा। तो ऐसे में बिजनेस को मेंटेन करने के लिए वर्किंग कैपिटल की भी आवश्यकता कम होगी‌ लेकिन आपका बिजनेस अगर जल्दी से जल्दी ग्रो कर रहा है, तो ऐसी स्थिति में आपको वर्किंग कैपिटल की भी आवश्यकता होगी. क्योंकि जब बिजनेस का आकार बढ़ जाता है, तो खर्च भी मैनेज करने के लिए खर्च भी अधिक होते हैं और खर्चों को पूरा करने के लिए वर्किंग कैपिटल की जरूरत होगी।

उद्योग- विशिष्ट कारक

प्रत्येक बिजनेस में कुछ फैक्टर ऐसे भी होते हैं, जो बिजनेस की वर्किंग कैपिटल को काफी ज्यादा इफेक्ट करते हैं। जैसे बिजनेस में अचानक से कोई घाटा हो जाना या फिर किसी नई नीति के कारण बिजनेस प्रॉफिट कम होना और खर्च बढ़ जाना । कर्मचारियों का वेतन और अन्य बहुत सारे तत्व ऐसे हैं,जो वर्किंग कैपिटल को प्रभावित करते हैं।

वर्किंग कैपिटल की कमी के प्रभाव

अगर आपके बिजनेस में वर्किंग कैपिटल की कमी है, तो कम वर्किंग कैपिटल के प्रभाव के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । चलिए एक-एक करके विस्तार से जान लेते हैं।

देनदारी का भुगतान समय पर नहीं होगा

अगर आपके व्यवसाय में वर्किंग कैपिटल की कमी है, तो आप दैनिक खर्चों का भुगतान समय पर नहीं कर पाएंगे। हर बिजनेस में बहुत सारी शॉर्ट टर्म देनदारी होती है,जिनका समय पर भुगतान करना जरूरी होता है।

कर्मचारियों का भुगतान

बिजनेस चाहे छोटा हो या फिर बड़ा, हर बिजनेस में कर्मचारियों की भर्ती की जाती है। कर्मचारियों को हर महीने वेतन भी देना होता है। अगर वर्किंग कैपिटल की कमी है, तो आप समय पर कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पाएंगे और वेतन के अभाव में कर्मचारियों की परफॉर्मेंस पर भी प्रभाव पड़ेगा। किसी भी बिजनेस में कर्मचारी बिजनेस की नींव होते हैं। क्योंकि कर्मचारियों के कारण ही बिजनेस तरक्की करता है। इसीलिए वर्किंग कैपिटल को मेंटेन करें ताकि कर्मचारियों को समय पर सैलरी मिले और वह सही तरीके से अपना काम कर सके।

बिजनेस की ग्रोथ पर इफेक्ट

वर्किंग कैपिटल की कमी के कारण आपकी बिजनेस ग्रोथ पर भी काफी इफेक्ट पड़ेगा। क्योंकि जब दैनिक खर्चों का भुगतान वर्किंग कैपिटल से नहीं कर पा रहे होंगे, तो आप का बिजनेस सुचारू रूप से नहीं चल पाएंगा और बिजनेस की ग्रोथ भी नहीं हो पाएगी‌। बिजनेस की ग्रोथ के लिए आपको अपनी देनदारी का भुगतान समय पर करना होगा। जिसके लिए वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होगी। 

वर्किंग कैपिटल के लिए वित्तीय रणनीतियाँ

वर्किंग कैपिटल के लिए आपको कुछ वर्किंग कैपिटल रणनीतियाँ अपनानी होगी,जिन रणनीतियों के माध्यम से आप वर्किंग कैपिटल को अच्छे से मेंटेन कर सकते हैं।

प्रभावी नकदी प्रवाह प्रबंधन

वर्किंग कैपिटल के लिए आपको विशेष रणनीति अपनानी होंगी। जिसमें से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कैश फ्लो प्रबंधन करना है। आपको अपने बिजनेस के बारे में यह जानकारी होनी चाहिए कि कितना कैश आपका बिजनेस में आ रहा है और कितना कैश आपका बिजनेस से बाहर जा रहा है। नगदी से जुड़ी सभी एक्टिविटी का आपको ध्यान रखना होगा, ताकि आप वर्किंग कैपिटल को मैनेज कर सके।

इन्वेंट्री स्तरों का अनुकूलन

 वर्किंग कैपिटल का प्रबंधन करने के लिए इन्वेंटरी लेवल को भी मेंटेन करना होगा ताकि सही समय पर सही उत्पाद बिजनेस में उपलब्ध रहे। अगर इन्वेंटरी सही से मैनेज होगी, तो स्टॉक आउट को रोका जा सकेगा। 

प्राप्य और देय खातों को सुव्यवस्थित करना

वर्किंग कैपिटल के लिए वित्तीय रणनीति बनाते समय हमें इस बात का जरूर ध्यान रखना होगा कि हमारे अकाउंट में कितना रिसीव हो रहा है और कितना हम भुगतान कर रहे हैं। अगर आप को अपने अकाउंट की सही से जानकारी होगी, तो आप वर्किंग कैपिटल को समय-समय पर मैनेज करते रहेंगे। जिस कारण वर्किंग कैपिटल की कमी के कारण होने वाले नुकसान से भी आप बच जाएंगे।

वर्किंग कैपिटल को कैसे बढ़ाएं । वर्किंग कैपिटल में सुधार

वर्किंग कैपिटल वर्किंग कैपिटल में सुधार करना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा। चलिए स्टेप बाय स्टेप जान लेते हैं।

ऋण या निवेशकों के माध्यम से धन जुटाना

वर्किंग कैपिटल में सुधार करना है, तो आपको अपने बिजनेस में फंड समय-समय पर अरेंज करने होंगे। फंड अरेंज करने के लिए आप लोन या निवेशकों की सहायता ले सकते हैं। अगर आपका बिजनेस बड़े स्तर पर है, तो आपको लोन के माध्यम से काफी अच्छी राशि मिल जाएगी। जिसका इस्तेमाल आप वर्किंग कैपिटल के लिए कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आपके बिजनेस को कई साल हो चुके हैं, तो बहुत निवेशक आपको मिल जाएंगे, जो आपका बिजनेस में निवेश कर देंगे। लगातार अलग-अलग निवेशकों के निवेश के कारण आपका बिजनेस में वर्किंग कैपिटल की कोई भी दिक्कत नहीं होगी।

अनावश्यक खर्चों में कटौती

वर्किंग कैपिटल को मैनेज करने के लिए आप अपने बिजनेस में होने वाले एक्स्ट्रा खर्चों को कंट्रोल कर सकते हैं। अगर कुछ खर्च ऐसे हैं, जो बिजनेस के लिए जरूरी नहीं है और आप बार-बार उन खर्चों को कर रहे हैं, तो यह पैसों की बर्बादी होगी। इसीलिए आप ऐसे खर्चों को करना बंद करें ताकि आप वर्किंग कैपिटल को मैनेज कर सकते हैं औ अपनी वर्किंग कैपिटल में सुधार सकते हैं‌।

बिक्री बढ़ाना या परिचालन का विस्तार करना

वर्किंग कैपिटल में सुधार करना है, तो इस के लिए आपको अपने बिजनेस की सेल को बढ़ानी चाहिए‌‌। क्योंकि बिजनेस के प्रोडक्ट की अधिक सेल होने के कारण आपके व्यवसाय की ग्रोथ होगी‌।

अधिक कुशल कार्यशील पूंजी चक्र बनाने के सुझाव

अगर आपको वर्किंग कैपिटल को लंबे समय तक मैनेज करना है, तो आपको अपने बिजनेस ग्रोथ पर ध्यान देना होगा और फिर उसी हिसाब से वर्किंग कैपिटल को भी मैनेज करना है।

वर्किंग कैपिटल को बढ़ाने के लिए आपको बिजनेस की हर अपडेट पर नजर रखनी होगी ताकि कहीं पर भी अगर बिजनेस में पैसों की जरूरत हो रही है, तो फंड या निवेश के माध्यम से वर्किंग कैपिटल में सुधार किया जा सके।

Conclusion

वर्किंग कैपिटल क्या होती है और किसी भी व्यवसाय के लिए वर्किंग कैपिटल कितनी जरूरी है, यह तो आप सभी जान ही गए होंगे‌ अगर आप अपने बिजनेस की ग्रोथ करना चाहते हैं और बिना किसी रूकावट के अपने बिजनेस को अच्छे स्तर पर लाना चाहते हैं, तो आपको वर्किंग कैपिटल मेंटेन करनी होगी‌। दैनिक खर्चों के भुगतान के लिए वर्किंग कैपिटल को मैनेज करना बहुत ज्यादा जरूरी है। 

बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल मैनेज करने के लिए हमें किन रणनीतियों को अपनाना चाहिए यह भी हमने विस्तार से बता दिया है। सभी जानकारी को पढ़ने के पश्चात आप वर्किंग कैपिटल को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं। वर्किंग कैपिटल मैनेज करने से खर्चों में भी कटौती की जा सकती है और हर प्रकार के बिजनेस को आप आसानी से मैनेज कर सकते हैं। बहुत बिजनेस ऐसे हैं, जिनमें वर्किंग कैपिटल को सही तरीके से मैनेज ना करवाने के कारण नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसीलिए आपको बिजनेस की ग्रोथ करनी है, तो वर्किंग कैपिटल अवश्य मेंटेन करें।

वर्किंग कैपिटल के बारे में सवाल

Q1: वर्किंग कैपिटल का क्या मतलब है?

अगर हम अपना कोई भी बिजनेस शुरू करते हैं, चाहे हमारा कोई छोटा बिजनेस हो या फिर बड़ा । हमेशा बिजनेस को चलाने के लिए कोई ना कोई खर्चे तो होते ही है‌। जैसे ऑफिस का रेंट, कर्मचारियों का वेतन, बिजनेस की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोजाना के खर्चे, बिजली का बिल, पानी का बिल और भी अन्य कहीं खर्च होते हैं। जिनका भुगतान करने के लिए पैसे की आवश्यकता होगी। इन सब रोजाना खर्चों के भुगतान के लिए ही वर्किंग कैपिटल मेंटेन करना जरूरी है।

Q2: क्या वर्किंग कैपिटल का कोई आदर्श प्रतिशत है?

एक अच्छे वर्किंग कैपिटल का अनुपात 1.5 और 2 के बीच होता है‌।

Q3: वर्किंग कैपिटल की कमी से क्या होता है?

किसी भी व्यवसाय के लिए वर्किंग कैपिटल काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है‌‌। अगर आपके बिजनेस की वर्किंग कैपिटल कम है, तो आप दैनदारी का भुगतान नहीं कर पाएंगे। खर्चो का भुगतान करने के लिए आपके पास पैसों की कमी होगी‌। जिसके कारण आपके बिजनेस पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। जब आप कर्मचारियों के वेतन व अन्य खर्चो का भुगतान नहीं कर पाएंगे, तो बिजनेस सुचारू रूप से नहीं चल पाएगा और कुछ ही समय बाद आपको बिजनेस में घाटा भी हो सकता है‌।

Q4: वर्किंग कैपिटल की अधिकता क्या संकेत देती है?

अगर आपका बिजनेस की वर्किंग कैपिटल अधिक है, तो इसका अभिप्राय यह होगा कि आपके व्यवसाय में जितने भी खर्च होंगे, उन खर्चों का आप अच्छे से भुगतान वर्किंग कैपिटल के माध्यम से कर सकते हैं। भुगतान करने के बाद भी आपके पास पैसों की कमी नहीं होगी।