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भारत में जीएसटी के फायदे और नुकसान

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admin
Posted on
Sep 07, 2024
advantages and disadvantages of GST

अगर आप व्यवसाय चलाते हैं या फिर आप एक आम नागरिक है, आपको जीएसटी के बारे में तो पता ही होगा। साल 2017 में भारत सरकार के द्वारा जीएसटी लागू किया गया था। जीएसटी यानी कि गुड एंड सर्विस टैक्स। इस टैक्स के अंतर्गत जितने भी राज्य में छोटे टैक्स थे, जैसे कि Product tax, सर्विस टैक्स, वेट और अन्य सभी   को हटाकर जीएसटी को लांच किया गया था‌। पहले हर राज्य सरकार को इतने सारे टैक्स का भुगतान करना पड़ता था। 

आम जनता को भी बहुत ज्यादा टैक्स देना पड़ता था। अब जीएसटी के लागू होने से कहीं ना कहीं टैक्स भरना थोड़ा आसान हुआ है और टैक्स की बचत भी लोग कर रहे है। कहीं ना कहीं एक तरफ GST के फायदे हैं, तो दूसरी तरफ इसके नुकसान भी है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी देंगे जीएसटी क्या है, जीएसटी के फायदे और जीएसटी के नुकसान क्या है। चलिए पोस्ट के माध्यम से जीएसटी के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से जान लेते हैं।

GST क्या है? 

जीएसटी यानी कि गुड एंड सर्विस टैक्स को साल 2017 में भारत सरकार ने लांच किया था। जीएसटी को लागू करने का उद्देश्य यह था कि जितने भी छोटे टैक्स जैसे की वेट टैक्स, सर्विस टैक्स और अन्य जितने भी टैक्स है, उन सबके स्थान पर एक टेक्स को रिप्लेस किया गया। जिसका नाम जीएसटी था। 

पहले अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग टैक्स दर का इस्तेमाल किया जाता था और अलग-अलग गुड एंड सर्विस के लिए भी अलग टैक्स लगता था। जिसके कारण काफी ज्यादा कन्फ्यूजन होती थी और व्यवसाय को काफी ज्यादा नुकसान भी होता था।

इसलिए भारत सरकार ने अब एक देश एक परियोजना के अंतर्गत जीएसटी को लागू किया है। जिसके अंतर्गत गुड सर्विस टैक्स और अंतिम के लिए आपको बस जीएसटी ही देना है। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी दिवस के रूप में घोषित किया गया और हाल-चाल 1 जुलाई को जीएसटी दिवस मनाया जाता है। 

जीएसटी में पांच अलग-अलग Slab Rate : 0%, 5%, 12%, 18% और 28% रखी गई है। यह Slab Rate व्यवसाय या सालाना आय निर्भर करेगी। जितना ज्यादा इनकम होगी उतने ज्यादा जीएसटी देनी होगी। जहां एक तरफ जीएसटी के फायदे हैं, तो इसके कुछ नुकसान भी है। चलिए एक-एक करके इस पोस्ट के माध्यम से सभी जानकारी जान लेते हैं।

GST के लाभ ?

Elimination of cascading tax effect


जीएसटी का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि जो छोटे-छोटे जितने भी टैक्स थे, अब उन टैक्स का भुगतान नहीं करना है। पहले अलग-अलग चीजों पर अलग-अलग रेट का टैक्स लगता था। जिसके कारण टैक्स काफी ज्यादा बढ़ जाता था‌। लेकिन अब जीएसटी लागू होने से हमें टैक्स भी कम देना होगा। चलिए एग्जांपल के जरिए हम समझ लेते हैं।

Pre-GST era

मान लीजिए एक होटल का मालिक अपने होटल के कमरों को किराए पर चढ़ाने के लिए 5 दिन के ₹60000 लेता है। तो इस पर अगर 18% के हिसाब से सर्विस टैक्स लगे, तो कुल टैक्स ₹9000 बनेगा। इसके अलावा मलिक ने टॉयलेटरींज को ₹25000 में बेच दिया है‌। 

अब इस पर पांच प्रतिशत के हिसाब से Vat लगेगा । तो टैक्स के जो कुल अमाउंट है ,वह 10250 बनेगी। जीएसटी आने से पहले हमें ₹10250 का भुगतान करना होता था। चलिए अब जान लेते हैं, जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स पर क्या फर्क पड़ा है।

Post-GST era

अगर हम जीएसटी लागू होने के बाद कैलकुलेशन निकाली, तो 60000 रुपए पर सीधा 18% लगेगा।  तो कुल जीएसटी 10800 बनेगा‌। अब 10800 में से हमें टॉयलेटरींज पर लगा हुआ टैक्स जो की 5% है ,हटाना होगा। 10800 – 1250 करने पर कुल टैक्स 8550 का बनेगा‌। आपने देखा कि जीएसटी लागू होने से हमें टैक्स भी कम पर करना पड़ेगा।


2. Enhanced threshold limit

पहले व्यवसाय को मूल्य वृद्धि टैक्स भी देना पड़ता था और यह मूल्यवर्द्धित टैक्स काफी महंगा पढ़ता था। अगर पहले कोई व्यवसाय ₹500000 की सीमा पर कर देता था, तो उसे मूल्यवर्द्धित टैक्स देना पड़ता था ‌। लेकिन अब 5 लाख की लिमिट को बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर दिया गया है। यानी लिमिट कुल 15 लाख बढ़ाई गई है। ऐसा होने से छोटे और मध्यम व्यवसाय को काफी ज्यादा लाभ मिला है‌।

3. Minimised compliances

आपकी जानकारी के लिए बता दे जीएसटी लागू होने से पहले व्यवसाय को अलग-अलग प्रकार से जीएसटी को भरना पड़ता था। अगर कोई व्यवसाय उत्पादन करता है, तो उसे उत्पाद जीएसटी भरना होती थी। इसके अलावा हर महीने आपको सेवा कर भी देना पड़ता था। 

साझेदारी और स्वामित्व को हर 3 महीने में जीएसटी भरना पड़ता था। जिसके कारण बहुत कन्फ्यूजन होती थी। लेकिन अब जीएसटी लागू हो गया है‌ जिसके कारण अलग-अलग दिन जीएसटी रिटर्न भरने की टेंशन खत्म हो गई है। अब सिर्फ एक ही बार रिटर्न दाखिल की जाती है।

4. Pay GST at fixed rates using Composition Scheme

अगर आपका वार्षिक व्यवसाय 25 लाख से 75 लाख रुपए तक का है, तो आपको जीएसटी कम भुगतान करने की सुविधा भी मिल सकती है। आप कंपोजिशन योजना का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

कंपोजिशन योजना के अंतर्गत आपको एक निश्चित दर पर जीएसटी का भुगतान करना होता है। कंपोजीशन योजना के कारण छोटे व्यवसाय से लेकर बड़े व्यवसाय को जीएसटी में डिस्काउंट मिल
जाता है।
अगर आप इस स्कीम का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि कंपोजिशन स्कीम के अंतर्गत रेस्टोरेंट के मालिक लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा जो बिजनेस प्रोडक्शन से संबंधित है, उन्हें भी इस स्कीम का लाभ मिलेगा। 

सेवा से संबंधित बिजनेस को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यह योजना ई-कॉमर्स डॉलर पर बिल्कुल भी लागू नहीं है । इसके अलावा जो बिजनेस माल की पूर्ति करते हैं, उनके लिए भी यह स्कीम लागू नहीं है।
डीलर अपने ग्राहकों से कंपोजिट टैक्स नहीं ले सकते हैं। इस योजना में टैक्स से संबंधित निर्धारित की गई दर इस प्रकार है‌।
निर्माता के लिए 2% व्यापारियों के लिए,  रेस्टोरेंट के मालिक के लिए 5% और अन्य। कंपोजिशन स्कीम के कारण अब व्यवसाय से संबंधित टैक्स कम भुगतान करना पड़ रहा है। जिससे उनका सिर का बोझ भी काम हुआ है।

5. Smooth and quick online processing

अगर आप अभी अधिक टैक्स देने से बचना चाहते हैं, तो आपको भी जीएसटी के लिए आवेदन करना चाहिए। जीएसटी के लिए आवेदन की प्रक्रिया काफी ज्यादा सरल है। 

  • बस आपको सबसे पहले जीएसटी के आधिकारिक पोर्टल को ओपन करना होगा। 
  • आधिकारिक पोर्टल को आप जैसे ही ओपन करेंगे, तो वहां पर आपको जीएसटी भरने से पहले अपनी आईडी क्रिएट करनी होगी‌
  • रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपको जीएसटी भरने के ऑप्शन पर क्लिक करना है‌। 
  • आपके सामने आवेदन फार्म खुल जाएगा। आपको आवेदन फार्म को ध्यान से भरना होगा। 
  • जो भी जानकारी आपसे पूछे जा रही है, वह बिल्कुल सही बतानी होगी। 
  • उसके पश्चात कुछ दस्तावेज को कभी स्कैन करके अपलोड करना पड़ेगा। 
  • इसके पश्चात आपके सामने जीएसटी भरने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जीएसटी का लाभ सीधा-सीधा छोटे स्टार्टअप के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होने वाला है ।
  • ऑनलाइन जीएसटी की प्रक्रिया होने के कारण केंद्र और राज्य दोनों में बैलेंस स्थापित किया जा सकता है।

6. Ease out the problem of warehousing for e-commerce and logistics companies

जीएसटी के लागू होने के कारण वेयरहाउस और लॉजिस्टिक कंपनी के लिए वेयरहाउस से संबंधित समस्या का छुटकारा हो गया है। जीएसटी के लागू होने के पश्चात अब आप कहीं भी अपना गोदाम खोल सकते हैं। जीएसटी के लागू होने के कारण अब गोदाम को स्थापित करने से संबंधित खर्चों को भी हम बचा सकते हैं। जीएसटी लागू होने के कारण ई-कॉमर्स कंपनियों और अन्य लॉजिस्टिक्स कंपनियों का खर्चा काफी ज्यादा बच गया है।


7. Takes e-commerce operators into account

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जीएसटी जब लागू नहीं किया गया था, तो जीएसटी लागू होने से पहले प्रत्येक राज्य की एक कॉमर्स कंपनी से संबंधित अलग-अलग नियम लागू किए गए थे। इन अलग-अलग नियम और अलग-अलग टैक्स रेट के कारण काफी ज्यादा समस्याओं का सामना व्यवसाय को करना पड़ता था।

अब जब जीएसटी लागू हो चुका है, तो जीएसटी लागू होने के कारण हर तरह की ई-कॉमर्स कंपनी चाहे वह किसी भी राज्य की हो, अलग-अलग रेट का टैक्स नहीं देना होगा।

GST के नुकसान क्या है?


Cost Of Operation

नया जीएसटी लागू होने के कारण व्यवसाय में लागत थोड़ी सी बढ़ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि नए जीएसटी लागू होने के कारण अब सभी व्यवसाय को अपने चालू रखने के लिए जीएसटी-अनुपालन सॉफ्टवेयर या एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होगी‌। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से व्यवसाय के संचालन की कास्ट बढ़ चुकी है। क्योंकि यह सॉफ्टवेयर काफी ज्यादा महंगा है।

 दूसरी बात यह भी है कि इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हर कोई नहीं कर सकता है। सॉफ्टवेयर को चलाने से पहले सॉफ्टवेयर के बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है और सॉफ्टवेयर चलाना सीखना पड़ेगा । इसलिए नए जीएसटी लागू होने से कहीं ना कहीं व्यवसाय संचालन की जो लागत है, उसमें भी बढ़ोतरी हुई है‌।

Tax Liability on SMBs

पहले की योजना के अनुसार जो उत्पादन शुल्क था, वह 1.5 करोड रुपए से अधिक के कारोबार पर लगाया जाता था। लेकिन जब से नया जीएसटी लागू हुआ है, तो नई जीएसटी में इस नियम में परिवर्तन किया गया है। अगर आपका अब उत्पादक व्यवसाय 40 लाख रुपए से अधिक है, तो आपको कारोबार वाले व्यवसाय को कर देना होगा।

Burden Of Compliance

नया जीएसटी लागू होने के कारण व्यवसाय की जिम्मेदारियां जीएसटी की प्रति थोड़ी ज्यादा बढ़ चुकी है और नियमों का पालन करना थोड़ा उद्भव हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब हर राज्य के व्यवसाय को अपने राज्य के अनुसार निर्धारित किए गए जीएसटी पोर्टल पर जाकर पंजीकरण करना होगा। 

पंजीकरण के अलावा भी बहुत सारे इफेक्ट है, जो कहीं ना कहीं जीएसटी भरने की प्रक्रिया को काफी ज्यादा बड़ी बना रहे हैं। जैसे कि समय-समय पर चालान भरना ,दस्तावेज, आवेदन प्रक्रिया और अन्य चीज जीएसटी की इस प्रक्रिया को काफी ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं । जिसे अनुपालन करने में थोड़ा मुश्किलों का सामना व्यवसाय को करना पड़ रहा है।

Penalties

नई जीएसटी की अपडेट के अनुसार अब हर कंपनी को जीएसटी पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना होगा। अगर कोई भी कंपनी रजिस्ट्रेशन नहीं करती है, तो उसे Rules का पालन न करने के कारण जुर्माना भी भुगतना पड़ेगा ।देखा जाए तो पहले के मुकाबले में अब नियम ज्यादा सख्त कर दिए गए हैं। पेनल्टी को भी बढ़ा दिया गया है । ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ऐसे हैं, जो एसएमबी की मदद से जीएसटी अनुपालन डिजिटल चालान भुगत रहे हैं ।

Flexiloans क्यों चुने?

अगर आप एक छोटा व्यवसाय के ओनर है और आपको अपना व्यवसाय चलाने के लिए पैसों की आवश्यकता है, तो आप Flexiloans के माध्यम से MSME Business Loan ले सकते हैं। Flexiloans के द्वारा हर प्रकार के व्यवसाय के लिए विद्या सहायता दी जाती है। अगर आप बिजनेस लोन लेना चाहते हैं, तो ऑनलाइन आवेदन कर लेते हैं। Flexiloans के माध्यम से लोन लेने के लिए आपको कई सारे एडवांस फीचर मिल जाते हैं, चलिए एक-एक करके जान लेते हैं। 

Repayment options

Flexiloans के माध्यम से आप अगर लोन ले लेते हैं, तो आपको लोन का भुगतान करने के लिए काफी आसानी होगी‌। क्योंकि यहां पर आपको लोन रीपेमेंट करने के लिए बहुत सारे ऑप्शन मिल जाते हैं। लोन रीपेमेंट करने के लिए कुल समय और इंस्टॉलमेंट को अपने हिसाब से मॉडिफाई कर सकते हैं और आसानी से यहां बिजनेस लोन ले सकते हैं।

Quick disbursal

बहुत बार ऐसा होता है कि हमें अपने बिजनेस के लिए जल्दी से पैसों की आवश्यकता होती है और अगर हम अन्य जगह से लोन लेने के लिए आवेदन करते हैं, तो हमें काफी सारा हमारा समय वेस्ट चला जाता है। अगर आपके पास समय का अभाव है, तो आप Flexiloans को चुन सकते हैं। इस प्लेटफार्म पर आपको काफी जल्दी लोन मिल जाएगा। लोन लेने की प्रक्रिया यहां पर काफी ज्यादा सरल बनाई गई है।

Minimal documentation

Flexiloans से लोन लेने का एक फायदा यह भी है कि यहां पर आपको पेपर वर्क ज्यादा नहीं करवाना होगा और ना ही ज्यादा दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। बहुत कम समय में और बहुत कम दस्तावेजों के साथ आपको बिजनेस लोन मिल सकता है।

GST Business Loans

Flexiloans के द्वारा बिजनेस लोन भी दिया जाता है‌। लगभग 1 करोड रुपए तक का बिजनेस लोन यहां पर आपको मिल सकता है। इस पेज का इस्तेमाल आप अपने बिजनेस की ग्रोथ के लिए कर सकते हैं। बाकी बिजनेस लोन के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप एक बार Flexiloans का विजिट जरूर करें।

निष्कर्ष

भारत सरकार के द्वारा देश में आर्थिक विकास करने के लिए और देश की तरक्की के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए हैं। वैसे तो भारत में विभिन्न प्रकार के टैक्स लगते हैं‌। लेकिन टैक्स की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भारत सरकार के द्वारा जीएसटी लागू किया गया है। हालांकि शुरुआत में जीएसटी को लागू करने से काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा है। लेकिन धीरे-धीरे जीएसटी के नियमों में बदलाव करने के बाद सरकार अब सुचारू रूप से जीएसटी पर काम कर रही है। 

देखा जाए तो जीएसटी के लागू होने से टैक्स का भोझ भी कुछ हद तक काम हुआ है। आज हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी है कि जीएसटी क्या होता है, जीएसटी के एडवांटेज और डिसएडवांटेज क्या है। अगर आप का बिजनेस है, तो आप रिटर्न भरते ही होंगे। अगर आपको कभी बिजनेस लोन की आवश्यकता होती है, तो आप जीएसटी बिजनेस लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। बाकी जीएसटी के बारे में अगर कोई भी जानकारी प्राप्त करनी है, तो आप हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट करके भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैंl