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वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह (Cash Flow) में क्या फर्क है?

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admin
Posted on
Jul 21, 2025
वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह (Cash Flow) में क्या फर्क है?

किसी भी बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह दोनों का काफी महत्व होता है। एक विशिष्ट सीमा के दौरान आपकी कंपनी में जितनी भी राशि आती जाती है, उसे ही नकदी प्रवाह कहा जाता है। इसके अलावा किसी भी कंपनी की करंट ऐसेट के लायबिलिटी के अंतर को वर्किंग कैपिटल कहा जाता है। किसी भी व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्किंग कैपिटल का बैलेंस पॉजिटिव होना जरूरी है।

दैनिक खर्चों के भुगतान के लिए वर्किंग कैपिटल का इस्तेमाल किया जाता है। देखा जाए तो किसी भी कंपनी के लिए नकदी प्रवाह और वर्किंग कैपिटल दोनों बहुत ज्यादा जरूरी है। क्योंकि नकदी प्रवाह के माध्यम से यह जानकारी मिलती रहती है कि कंपनी में एक निश्चित समय के दौरान कितना पैसा लगता रहा है और कितना पैसा जा रहा है। जिसके कारण कैश फ्लो कंपनी में बना रहता है। इसके अलावा अगर हम समय पर वर्किंग कैपिटल को मेंटेन करते रहे, तो किसी भी कंपनी को घाटे का सामना नहीं करना पड़ेगा और अपने रोजाना खर्चों के लिए फंड अरेंज करने में भी परेशानी नहीं होगी।

किसी भी कंपनी की ग्रोथ के लिए कैश फ्लो और वर्किंग कैपिटल दोनों के बारे में सही कैलकुलेशन होनी जरूरी है ताकि कंपनी की ग्रोथ पर इफेक्ट ना पढ़ें। चलिए आगे विस्तार से जान लेते हैं कि नकदी प्रवाह और वर्किंग कैपिटल किस प्रकार से बिजनेस वित्तीय स्थिति के लिए महत्वपूर्ण है।

वर्किंग कैपिटल क्या है? 

किसी भी कंपनी की वर्तमान परिसंपत्तियों और देनदारी के अंतर को कार्यशील पूंजी कहा जाता है‌। सामान्य शब्दों मे कोई भी ऐसी चीज जिसे नकदी के लिए समाप्त किया जा सकता है, वह वर्किंग कैपिटल कहलाती है । अगर किसी भी कंपनी की करंट ऐसेट और देनदारी का अंतर नेगेटिव बैलेंस आ रहा है, तो इसका मतलब यह होगा कि कंपनी की वर्किंग कैपिटल खर्चो का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

अगर किसी कंपनी की वर्किंग कैपिटल का बैलेंस पॉजिटिव आ रहा है, तो इसका मतलब यह होगा कि यह वर्किंग कैपिटल ,आने वाले खर्चों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त होगी। वर्किंग कैपिटल को मैनेज करना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है । अगर वर्किंग कैपिटल का प्रबंध न किया जाए ,तो कंपनी को बहुत बड़ा घाटा सहन करना पड़ सकता है।

वर्किंग कैपिटल की गणना = शॉर्ट-टर्म एसेट्स – शॉर्ट-टर्म लायबिलिटीज.

अक्सर देखा गया है कि जिन भी कंपनी की कार्यशील पूंजी को समय-समय पर प्रबंध किया गया है । वह कंपनी लंबे समय तक मार्केट में टिक सकती है। क्योंकि वह अपने खर्चों का भुगतान करने के लिए कार्यशील पूंजी का इस्तेमाल कर लेती है और जो कंपनियां कार्यशील पूंजी का प्रबंध नहीं कर पाते हैं, उन्हें अपने खर्चों को पूरा करने के लिए किसी अन्य फंड या फिर लोन पर निर्भर होना पड़ता है और लोन या फिर फंड प्राप्त न होने की स्थिति में कंपनी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

किसी भी कंपनी की कार्यशील पूंजी का अनुपात अगर एक से अधिक है, तो उसे अच्छी कार्यशील पूंजी माना जाता है। कार्यशील पूंजी को बढ़ाने के लिए प्रत्येक कंपनी को कुछ ना कुछ रणनीति अपनानी पड़ती है। आगे हम आपको विस्तार से इस बारे में जानकारी देंगे।

नकदी प्रवाह (Cash Flow) क्या है? 

एक विशिष्ट सीमा के दौरान आपकी कंपनी में जितनी भी नकदी आती-जाती है उसे नकदी प्रवाह कहा जाता है। यानी कि आप अपनी कंपनी से कितना पैसा कमा रहे हैं और अपने कंपनी को मार्केट में बनाए रखने के लिए कितना पैसा आपको खर्च करना पड़ रहा है। इन सब का मूल्यांकन करना ही नकदी प्रवाह कहा जाता है। अगर आप अपने कंपनी से जो नकदी प्राप्त कर रहे हैं ,वह खर्चों से कम है । तो इसका मतलब यह होगा कि आपको अपनी कंपनी पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

क्योंकि नेगेटिव कैश फ्लो कहीं ना कहीं आपके बिजनेस को प्रभावित कर सकता है। बहुत कंपनियां ऐसी होती है जिनका नकदी प्रवाह पॉजिटिव होता है। इसका यह मतलब होता है कि आपकी कंपनी सुचारू रूप से चल रही है और कोई भी समस्या नहीं है।

 लेकिन नेगेटिव नकदी प्रवाह अगर है, तो आपको नेगेटिव बैलेंस को पॉजिटिव में बनाने के लिए कुछ रणनीति या अपनानी होगी । जिन रणनीतियों का इस्तेमाल करके आप के व्यवसाय में नकदी प्रवाह अधिक होगा और अपनी कंपनी को चलाने के लिए जिन खर्चों का भुगतान आप कर रहे हैं, वह खर्च कम हो।

नकदी प्रवाह कुल तीन प्रकार का होता है। परिचालन नकदी प्रवाह ,निवेश नकदी प्रवाह और वित्तीय कार्य से नकदी प्रवाह।

परिचालन नकदी प्रवाह

व्यवसाय की मुख्य गतिविधियों जैसे की वस्तुओं या सेवाओं को बेचने से प्राप्त धन में से आपको अपने खर्चो को घटाना होगा और प्राप्त नकदी को परिचालन नकदी कहा जाता है।

निवेश से प्राप्त नकदी

यदि आप अपने व्यवसाय में कुछ भी निवेश करते हैं और निवेश से प्राप्त ऋण या अन्य को नकदी प्रवाह कहा जाता है।

वित्तीय गतिविधियों से नकदी प्रवाह

जब व्यवसाय की वित्तीय गतिविधियों से जैसे की पूंजी, देनदारी में कमी, खर्चों में कमी। लेकिन लाभांश में वृद्धि व अन्य तरीके से व्यवसाय में नगद राशि की बढ़ोतरी होना।

वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह में क्या फर्क है? 

अप्रत्याशित समय में किसी भी कंपनी को काफी सारे खर्चो का भुगतान करना पड़ता है। अगर कंपनी में वर्किंग कैपिटल का प्रबंध होगा, तो अप्रत्याशित खर्चों का भुगतान समय पर किया जा सकता है।नकदी प्रवाह यह दर्शाता है कि एक निश्चित समय में एक व्यवसाय कितनी नकदी उत्पन्न हो सकता है।
नकदी प्रवाह से आपको यह जानकारी मिल जाती है कि मौजूदा समय में आपके व्यवसाय में कितने नकदी आ रही है और कितना पैसा जा रहा है । नकदी प्रवाह के माध्यम से आप अप्रत्याशित खर्च को कभी-कभी प्रबंध नहीं कर पाते हैंवर्किंग कैपिटल के माध्यम से अप्रत्याशित खर्चो को का प्रबंध करने में आसानी होती है।
अगर वर्किंग कैपिटल का बैलेंस नेगेटिव में आ रहा है, तो इसका मतलब यह होगा कि आप अपने खर्चो का भुगतान करने के लिए वर्किंग कैपिटल की वैल्यू कम है। अगर आपके पास वर्किंग कैपिटल की वैल्यू नेगेटिव में होगी, तो यह इस बात को दर्शाता है कि खर्चो का भुगतान करने के लिए आपके पास पर्याप्त धन नहीं है। आपको फंड या फिर निवेश का इंतजाम करना होगा, ताकि आपके पास पर्याप्त धन उपलब्ध हो सके।नकदी प्रवाह का बैलेंस अगर नेगेटिव आता है, तो इसका मतलब यह होगा की आपको जल्द से जल्द नकदी प्रवाह का प्रबंध करना होगा। नहीं तो आपके व्यवसाय में वित्तीय कमी का सामना भी करना पड़ सकता है।

वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह की महत्ता

वर्किंग कैपिटल का महत्व

प्रत्येक कंपनी या व्यवसाय में रोजाना हमें विभिन्न प्रकार के खर्चों को करना पड़ता है। अगर हम वर्किंग कैपिटल को मैनेज करेंगे, तो हम अपने प्रत्येक दैनिक खर्चों का भुगतान वर्किंग कैपिटल से कर सकते हैं।
वर्किंग कैपिटल के माध्यम से बिजनेस के खर्चों का भुगतान करना आसान होता है।
समय-समय पर वर्किंग कैपिटल का प्रबंध करने से कंपनी को घाटा नहीं होता है।
वर्किंग कैपिटल के कारण व्यवसाय में अतिरिक्त खर्चों को करते समय परेशानी नहीं होती है।
अगर वर्किंग कैपिटल का प्रबंध अच्छे से कर लिया जाए तो कंपनी को ग्रोथ करने में भी आसानी होती है।

नकदी प्रवाह का महत्व

दैनिक व्यवसाय गतिविधियों को पूरा करने के लिए नकदी प्रभाव काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है । क्योंकि नकदी प्रवाह के कारण ही हम दैनिक व्यवसाय गतिविधियों को का प्रबंध आसानी से कर सकते हैं।

व्यवसाय में इन्वेंटरी खरीदने के लिए हमें नकदी प्रवाह की काफी आवश्यकता पड़ती है । अगर आपकी कंपनी में नकदी प्रवाह अच्छा होगा तो आपकी कंपनी की ग्रोथ भी काफी जल्दी होगी।

हमें कर्मचारियों से संबंधित कई प्रकार के भुगतान भी करने पड़ते हैं । नकदी प्रवाह के माध्यम से आप आसानी से कर्मचारियों से संबंधित सभी प्रकार का भुगतान कर सकते हैं।

वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह को कैसे प्रबंधित करें? 

किसी भी कंपनी की ग्रोथ के लिए नकदी प्रवाह और वर्किंग कैपिटल दोनों का प्रबंध करना बहुत ज्यादा आवश्यक है । चलिए विस्तार से वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह के प्रबंधन से संबंधित जानकारी जान लेते हैं।

वर्किंग कैपिटल का प्रबंधन 

Optimize inventory

अगर आप अपनी कंपनी की वर्किंग कैपिटल का प्रबंध करना चाहते हैं ,तो आपको समय-समय पर कंपनी की सभी इन्वेंटरी को चेक करना होगा। अगर किसी भी इन्वेंटरी में कोई गलती हो रही है ,तो एक छोटी सी गलती आपकी वर्किंग कैपिटल को प्रभावित कर सकती है । इसीलिए समय-समय पर इन्वेंटरी को मैनेज करते रहे और यह भी देखें कि आपसे कोई गलती ना हो।


Reduce receivables and payables.

किसी भी कंपनी के लिए वर्किंग कैपिटल का प्रबंधन होना काफी ज्यादा जरूरी होता है। दैनिक कर भुगतान के लिए , वर्किंग कैपिटल की वैल्यू सही होना जरूरी है । कंपनी को अपने खर्चों पर कंट्रोल करना चाहिए ताकि वर्किंग कैपिटल का बैलेंस पॉजिटिव मेंटेन कर सके।

कैश फ्लो का प्रबंध

Forecasting cash flow.

किसी भी व्यवसाय में सही कैश फ्लो का प्रबंध करना काफी ज्यादा जरूरी होता है। अगर आप अपने व्यवसाय में नकदी प्रवाह का मूल्यांकन सही से नहीं कर पाएंगे, तो आपको यह जानकारी मिल ही नहीं पाएगी कि आपके व्यवसाय में नकदी प्रवाह कितना है। इसीलिए आपको समय-समय पर यह जानकारी अपडेट लेना होगा कि निश्चित समय में आपके व्यवसाय में कितनी नकदी आ रही है और कितनी नकदी आपके व्यवसाय से बाहर जा रही है।


Cutting unnecessary expenses.

अगर आप अपनी व्यवसाय में नकदी प्रवाह के बैलेंस को मेंटेन करना चाहते हैं, तो आपको कोशिश करनी होगी कि आपके व्यवसाय में जो भी अतिरिक्त खर्च हो रहे हैं, उनमें कमी की जा सके। बहुत व्यवसाय ऐसे होते हैं, जिनमें काफी अतिरिक्त खर्च होते हैं और  खर्चों के कारण नकदी प्रवाह का प्रबंध नहीं हो पता है। जिस कारण भविष्य में व्यवसाय में घाटे का सामना भी करना पड़ सकता है ।

अगर आप वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह का प्रबंध करना चाहते हैं, तो Financial analysis और forecasting दो ऐसे तरीके हैं। जिनका इस्तेमाल करके आप नकदी प्रवाह और वर्किंग कैपिटल दोनों का ही अच्छे से एनालिसिस कर सकते हैं और अपने व्यवसाय को मजबूत बना सकते हैं।

वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह के लिए सामान्य गलतियाँ 

अक्सर ऐसा होता है कि व्यवसाय में वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह की कैलकुलेशन और इनका इस्तेमाल करते समय कुछ गलतियां हो जाती हैं और इन गलतियों के कारण हमें घाटे का सामना करना पड़ता है । अगर आप भी चाहते हैं कि अपनी कंपनी में बिना किसी घाटे के वर्किंग कैपिटल और नकटी प्रवाह का इस्तेमाल करें। तो गलतियों से बचना चाहिए। आज हम आपको उन गलतियों के बारे में बताने वाले हैं, जो सामान्य रूप से कि जाती हैं और इन गलतियों के बचाव से आप अपने वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह दोनों को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं।

Overestimating cash flow

बहुत बार कैश फ्लो की कैलकुलेशन करते समय कैश फ्लो ओवर एस्टीमेट कर लिया जाता है। जितना कैश कंपनी में मौजूद है ही नहीं गलत कैलकुलेशन के कारण लगती प्रवाह की वैल्यू अधिक हो जाती है और जब बाद में हमें जरूरत पड़ती है, तो नकदी प्रवाह की वैल्यू कम हो जाती है। इसलिए हमें नकदी प्रवाह की कैलकुलेशन करते समय ओवर ऐस्टीमेटिंग से बचना चाहिए ताकि भविष्य में हमें कोई परेशानी ना हो।

Ignoring the seasonality of cash flow

कुछ व्यवसाय ऐसे होते हैं, जो सीजनल होते हैं। इस प्रकार के बिजनेस में सीजन के हिसाब से पैसा अच्छा आता है। लेकिन सीजन के अलावा बिजनेस  कम चलता है। कंपनी में नकदी प्रवाह की वैल्यू भी कम होती है। लेकिन हम जब अपनी कंपनी में नकदी प्रवाह की कैलकुलेशन करते हैं, तो सीजनल इफेक्ट को भूल जाते हैं और जिसके कारण हमें अपने बिजनेस में आने वाले समय में नुकसान भी सहना पड़ता है।

Focusing too much on profits rather than cash movement

प्रत्येक कंपनी के लिए मुनाफा कमाना काफी ज्यादा जरूरी है और मुनाफा कमाने के लिए हर कंपनी मेहनत करती है। लेकिन मुनाफा कमाने के साथ-साथ हमें कंपनी की परफॉर्मेंस को भी ध्यान में रखना होगा। कंपनी की ग्रोथ के लिए अच्छा प्रोडक्ट, अच्छा कस्टमर एक्सपीरियंस के साथ-साथ अन्य बहुत सारे फैक्टर महत्वपूर्ण होते हैं, जिनका हमें ध्यान रखना होगा।

नकदी प्रवाह से संबंधित गलतियों से बचने के लिए निम्नलिखित सुधार कर सकते हैं।

समय-समय पर अच्छे से अपनी कंपनी का मूल्यांकन करें।
अगर आपके व्यवसाय में नकदी प्रवाह की राशि आपको घटते हुए नजर आ रही है, तो आपको नकदी प्रवाह बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
अगर आपके व्यवसाय में नकदी प्रवाह की कमी है, तो आप संपत्तियों बेच कर नकदी प्रवाह को मैनेज कर सकते हैं। बिजनेस वित्तीय स्थिति जानने के लिए वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो दोनों ही काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

Conclusion

इस लेख माध्यम से हमने आपको यह जानकारी दी है कि किसी भी बिजनेस के लिए वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह कितनी ज्यादा महत्वपूर्ण  है। वर्किंग कैपिटल के माध्यम से आप अप्रत्याशित खर्चों का भुगतान भी समय पर कर सकते हैं । वर्किंग कैपिटल यह दर्शाता है कि खर्चों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है या फिर नहीं।इसके अलावा नकदी प्रवाह के माध्यम से आपको यह जानकारी मिल जाती है कि कितना पैसा आपके व्यवसाय में आ रहा है और कितना जा रहा है। इसके माध्यम से आप अगर आपके बिजनेस में कैश फ्लो की राशि कम हो रही है, तो अगर आप समय-समय पर कैश फ्लो का प्रबंध करते रहेंगे । तो आपके बिजनेस में घाटा नहीं होगा। अगर आप भी अपने व्यवसाय की ग्रोथ करना चाहते हैं, तो आपको समय-समय पर वर्किंग कैपिटल और कैश फ्लो दोनों को मेंटेन करना होगा। क्योंकि व्यवसाय की ग्रोथ के लिए दोनों ही काफी ज्यादा बेहतर है।

FAQs

Q1: क्या वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह एक ही हैं?

उत्तर: किसी भी कंपनी का वर्किंग कैपिटल दर्शाता है कि आप अपने दैनिक खर्चों का भुगतान करने के लिए आपके पास पर्याप्त पैसा है या फिर नहीं। लेकिन नकदी प्रवाह यह दर्शाता है कि आपके व्यवसाय में एक निश्चित समय के अंतराल में कितना पैसा आया है और कितना गया है। देखा जाए तो वर्किंग कैपिटल और नकदी प्रवाह का अलग-अलग अर्थ है और हर कंपनी को कैपेसिटी के आधार पर दोनों रखना अनिवार्य है।

Q2: नकदी प्रवाह का नकारात्मक होना क्या संकेत करता है?

उत्तर: अगर आपकी कंपनी में नकदी प्रवाह नकारात्मक आ रहा है, तो इसका मतलब यह होगा कि आपके कंपनी में नकदी प्रवाह की स्थिति सही नहीं है और तुरंत आपको नकदी प्रवाह के बैलेंस को बढ़ाने के लिए कुछ ना कुछ रणनीति अपनानी होगी। नकदी प्रवाह नकारात्मक होने के कारण व्यवसाय में बहुत अधिक घाटा हो सकता  हैं।

Q3: वर्किंग कैपिटल का महत्व क्या है?

उत्तर: बहुत बार व्यवसाय में अप्रत्याशित खर्चो का भुगतान करना पड़ता है। अगर आप नेटवर्किंग कैपिटल को मेंटेन करके रखा है, तो आपको  अप्रत्याशित खर्च का भुगतान करने में कोई भी समस्या नहीं होगी। इसके अलावा भी अगर किसी कंपनी की वर्किंग कैपिटल अच्छी है, तो ग्रोथ के चांस भी ज्यादा होंगे।

Q4: कैश फ्लो प्रबंधन के लिए कौन से टिप्स फॉलो करें?

उत्तर: कैश फ्लो के प्रबंधन के लिए आपको जागरूक रहना होगा। यदि आपके व्यवसाय में नकदी की समस्या हो रही है तो आपको तुरंत ध्यान देना होगा। ताकि आप समय रहते कंपनी में आने वाले और जाने वाले कैश प्रबंधन कर सके और कंपनी को किसी भी प्रकार का घाटा ना हो।