शॉर्ट-टर्म लोन क्या है? ब्याज दर, योग्यता और शर्तों की पूरी जानकारी
Mar 10, 2025

जब बिज़नेस में तुरंत फन्डिंग की ज़रूरत होती है, तब शॉर्ट टर्म लोन लिया जाता है। इसका रीपेमेंट पीरियड कुछ महीनों से लेकर एक साल तक होता है। चूंकि यह लोन जल्दी मिल जाता है, इस पर इंटेरेस्ट रेट थोड़ा ज़्यादा होता है। जब बिज़नेस में कैश फ्लो की कमी हो, कुछ अर्जेंट खर्चे निकाल आए या इन्वेंटरी स्टॉक करने ज़रूरत हो, शॉर्ट टर्म मददगार साबित होता है।
भारत में MSMEs तेजी से बढ़ रहे है। उनके सही तरीके से चलने के लिए ये शॉर्ट टर्म लोन तुरंत फंड देकर उनकी मदद करता है। ये उन व्यवसायों के लिए बिल्कुल सही है जो लंबे समय के कर्ज का बोझ नहीं चाहते। साथ ही जिन्हें जल्दी कैपिटल की ज़रूरत होती है जिससे अपनी इमीडिएट ज़रूरतें पूरी कर पाएं और छोटी-मोटी समस्याओं को हल कर सकें। इससे बिज़नेस को बढ़ने में मदद मिलती है।
शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन के फीचर्स और फायदे:
- फंड्स का जल्दी मिलना- शॉर्ट-टर्म लोन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि पैसे जल्दी मिल जाते हैं। इसकी अप्लिकेशन प्रोसेस आसान है और कम डॉक्यूमेंट्स लगते है जिससे MSMEs को कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में ही लोन अप्रूवल मिल जाता है।
- फ्लेक्सिबल एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया – आमतौर पर बैंक लोन के सख्त नियम होते है। लेकिन FlexiLoans जैसी FinTech कंपनियां बिना किसी झंझट आपको लोन देती है। अगर आपके पास क्रेडिट हिस्ट्री या कोलैटरल नहीं है, तब भी आप अपने कैश फ्लो और बिज़नेस की मजबूत ग्रोथ के आधार पर लोन के लिए क्वालिफाई कर सकते हैं।
- अनसिक्योर्ड लोन ऑप्शंस – लोन लेने के लिए आपको कोई संपत्ति गिरवी रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह खासकर उन MSMEs के लिए फायदेमंद होता है, जिनके पास कोलैटरल देने के लिए ज्यादा एसेट्स नहीं होते।
- ज़रूरत के हिसाब से लोन अमाउंट – बिज़नेस की अलग- अलग ज़रूरतों को देखते हुए शॉर्ट टर्म लोन में अलग-अलग अमाउंट में मिलते हैं। जैसे कैश फ्लो मैनेज करने के लिए थोड़ी रकम की ज़रूरत हो या किसी शॉर्ट-टर्म प्रोजेक्ट के लिए बड़ी रकम, आपको अपनी ज़रूरत के हिसाब से सही लोन लेना मुमकिन है।
- रीपेमेंट फ्लेक्सिबिलिटी- कई लेन्डर्स लोन को चुकाने के लिए मन मुताबिक छूट देते हैं, अपनी सहूलियत के और कैश फ्लो पैटर्न्स के हिसाब से वीकली, फोर्टनाइटली या मंथली इंस्टॉलमेंट्स चुन सकते है।
शॉर्ट-टर्म लोन के लिए ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स:
शॉर्ट टर्म लोन के लिए जब आप अप्लाइ करें तो इन डॉक्युमेंट्स का ज़रूर ध्यान रखें।
- बिज़नेस रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट्स – बिज़नेस लीगल है या नहीं उसके लिए इन्कॉरपोरेशन सर्टिफिकेट, पार्टनरशिप डीड या प्रोप्राइटरशिप रजिस्ट्रेशन जैसे डॉक्युमेंट्स की ज़रूरत है।
- बिज़नेस प्लान – आपके बिज़नेस प्लान में बिज़नेस का मिशन, फाइनेंशियल स्थिति, मार्केट एनालिसिस और लोन चुकाने की स्ट्रैटेजी होनी चाहिए।
- KYC डॉक्यूमेंट्स – बिज़नेस के सभी ओनर्स के आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर ID या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे ID और एड्रेस प्रूफ होने चाहिए।
- फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स – बिज़नेस की फाइनेंशियल हेल्थ दिखाने के लिए पिछले सालों के प्रॉफिट & लॉस, बैलेंस शीट और कैश फ्लो स्टेटमेंट्स होने ज़रूरी है।
- बैंक स्टेटमेंट्स – आपके स्टैट्मन्ट में कम से कम पिछले 6-12 महीनों के बैंक ट्रांजैक्शन होने चाहिए जिससे कैश फ्लो का पता चले।
- GST डॉक्यूमेंट्स – अगर लागू हो तो GST रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइलिंग की डिटेल्स भी जोड़ें।
- ओनरशिप/लीज का प्रूफ – बिज़नेस की कन्फर्म लोकेशन दिखाने के लिए ओनरशिप डीड या लीज एग्रीमेंट।
- कोलैटरल डॉक्यूमेंट्स – अगर सिक्योर्ड लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं, तो प्रॉपर्टी या एसेट प्रूफ।
- बिज़नेस लाइसेंस – इंडस्ट्री और रेगुलेशन के मुताबिक ज़रूरी परमिट्स और लाइसेंस।
- डेब्ट ऑब्लिगेशंस – अगर पहले से कोई लोन चल रहा है, तो उसकी डिटेल्स ज़रूरी है ताकि आप लोन चुका सकते है या नहीं ये पता चले।
- प्रोजेक्टेड फाइनेंशियल्स – लोन का किस तरह इस्तेमाल होगा या बिज़नेस पर उसका असर समझने के लिए होने वाले रेवेन्यू, खर्चे और कैश फ्लो।
- बिज़नेस रेफरेंस – बिज़नेस की क्रेडिबिलिटी और रेपुटेशन के लिए रेफरेंस।
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया:
- बिज़नेस की फाइनेंशियल हेल्थ – लेंडर पिछले प्रॉफिट, खर्चे और लोन से आपके बिज़नेस की हालत का अंदाज़ा लगाते हैं। ₹2,00,000 प्रति माह का टर्नओवर लोन अप्रूवल के लिए आमतौर पर काफ़ी होता है।
- क्रेडिट स्कोर – जब लोन समय पर चुकाया जाता है तब क्रेडिट स्कोर अच्छा होता है। अच्छा स्कोर होने पर जल्दी अप्रूवल और कम इंटरेस्ट रेट मिल सकता है। की बार स्कोर कम होने पर लोन रिजेक्ट हो सकता है या इंटेरेस्ट ज्यादा हो सकता है।
- लोन अमाउंट और टेन्योर- बड़े लोन या लंबे समय के रीपेमेंट पीरियड में ज़्यादा रिस्क होता है। वहीं शॉर्ट-टर्म लोन में EMI ज्यादा होती है, इसलिए EMI कैलकुलेटर के इस्तेमाल से अपना बजट बनाएं।
- बिज़नेस विंटेज – जब बिज़नेस पुराना और स्टैबल हो तो लोन अप्रूवल आसान हो जाता है। 1 साल पुराना बिज़नेस में भी जब फाइनेंशियल रिकॉर्ड अच्छा हो तो लोन मिल सकता है।
- बिज़नेस टाइप – कैसा बिज़नेस है उसे देखते हुए भी इंटरेस्ट रेट और अप्रूवल में फ़र्क हो सकता है। स्टेबल इंडस्ट्रीज में कम इंटेरेस्ट के साथ जल्दी अप्रूवल मिलता है जबकि जोखिम वाले सेक्टर में लोन रिजेक्शन या ज्यादा इंटरेस्ट रेट का सामना करना पड़ सकता है।
इंटरेस्ट रेट और चार्जेस:
आमतौर पर शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन का इंटरेस्ट रेट लॉन्ग-टर्म लोन से ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनका रीपेमेंट पीरियड कम होता है और रिस्क ज्यादा होता है। लेंडर और आपके बिज़नेस की फाइनेंशियल प्रोफाइल को देखते हुए इंटरेस्ट रेट15% से 30% प्रति वर्ष के बीच हो सकता है।
| चार्ज टाइप | विवरण (Description) | राशि (Amount) |
| प्रोसेसिंग फीस | लोन प्रोसेस करने के लिए एक बार लगने वाला चार्ज | लोन अमाउंट का 3% तक |
| प्रीपेमेंट चार्जेज | तय समय से पहले लोन चुकाने पर चार्ज | बकाया राशि का 2-5% |
| लेट पेमेंट चार्जेज | EMI पेमेंट में देरी होने पर जुर्माना | EMI अमाउंट का 2-5% |
| डॉक्यूमेंटेशन चार्जेज | कानूनी और डॉक्यूमेंटेशन के काम के लिए चार्ज | हर लेन्डर का अपना चार्ज हो सकता है |
शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन कैसे लें?
- सबसे पहले ये देखें की आप लोन के लिए एलिजिबल हैं या नहीं और ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स तैयार जमा करें।
- इंटरेस्ट रेट, रिपेमेंट टर्म और बाकी चार्जेस को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग लेंडर्स के ऑफर कंपेयर करें और बेस्ट लोन ऑप्शन चुनें।
- जब सही ऑप्शन मिल जाएं तो लेंडर की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई करें।
- ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स सबमिट करें और वेरिफिकेशन का इंतजार करें।
- अप्रूवल मिलने पर लोन अमाउंट आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन के प्रकार:
- वर्किंग कैपिटल लोन – ये लोन बिज़नेस की रोज़मर्रा की खर्चों जैसे सैलरी, किराया और इन्वेंटरी के लिए लिए जाते हैं।
- इनवॉइस फाइनेंसिंग – इससे आप बिज़नेस के अनपेड इनवॉइस के बदले फंड्स ले सकते हैं, जिससे आपका कैश फ्लो सही रहता है।
- मर्चेंट कैश एडवांस – अगर आपका मंथली रेवेन्यू या सेल ऊपर-नीचे होता रहता है, ऐसे में आप एडवांस फंड ले सकते है जिसे फ्यूचर सेल्स का एक हिस्सा देकर चुकाया जाता है।
- ब्रिज लोन – कई बार आपका लॉन्ग-टर्म लोन फाइनल होने के बाद भी आपको इमीडिएट फंडिंग की ज़रूरत होती है, तो ये लोन एक ब्रिज की तरह मदद करता है।
- बिज़नेस क्रेडिट लाइन – ये एक रेवोलविंग क्रेडिट फैसिलिटी है जिसका मतलब आप ज़रूरत के हिसाब से फंड निकाल सकते हैं और इंटरेस्ट सिर्फ इस्तेमाल की गई राशि पर लगता है।
- इक्विपमेंट फाइनेंसिंग – ये लोन ख़ास तौर पर इक्विपमेंट खरीदने या लीज पर लेने के लिए होता है। यहाँ आपका इक्विपमेंट ही लोन की गारंटी बनता है।
निष्कर्ष:
शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन MSMEs के ज़रूरी है क्योंकि वो इन उभरते एंटरप्रेन्योर की अर्जेंट फ़ाइनेंशियल ज़रूरतों को आसानी से पूरा करने में मदद करता है। कम से कम पैपर्वर्क के साथ ऑनलाइन बिज़नेस लोन जैसी सुविधाओं कॉम्पनियों को काम्पिटिशन में बने रहने में और उनके गोल्स को आसानी से अचीव करने में मदद करती है
अगर आप भी अपने MSME बिज़नेस लोन की ज़रूरतों के लिए एक भरोसेमंद पार्टनर ढूंढ रहे हैं, तो FlexiLoans आपका के लिए एक बेहतर ऑप्शन है। ये न सिर्फ़ कम डॉक्यूमेंटेशन में ऑनलाइन बिज़नेस लोन ऑफर करते है बल्कि आप ₹1 करोड़ तक का लोन पा सकते है, वो भी अपने मनचाहे रीपेमेंट ऑप्शंस के साथ। आपकी यूनीक ज़रूरतों के लिए आपके मुताबिक MSME लोन प्रोडक्ट्स डिजाइन करते हैं।
FAQs
हाँ, कई लेंडर्स बिना कुछ गिरवी रखे अनसिक्योर्ड शॉर्ट-टर्म लोन देते हैं। लेकिन, इसके लिए आपको पर्सनल गारंटी या मजबूत क्रेडिट स्कोर दिखाना पड़ सकता है।
शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन का प्रोसेस काफी तेज़ होता है। लेंडर्स जैसे FlexiLoans, लोन अप्रूवल के 24-48 घंटों में ही फंड्स आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाते है।
शॉर्ट टर्म बिज़नेस लोन छोटे खर्चें जैसे वर्किंग कैपिटल, इन्वेंटरी खरीदने, इक्विपमेंट अपग्रेड करने या सीजनल बिज़नेस ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं।
आम तौर पर शॉर्ट-टर्म लोन का इंटरेस्ट रेट लॉन्ग-टर्म लोन से ज़्यादा होता है क्योंकि इनका रीपेमेंट टाइम कम होता है और रिस्क ज़्यादा होता है। लेकिन की बार आपके बिज़नेस की फाइनेंसियल हेल्थ, क्रेडिट प्रोफाइल और लेंडर की पॉलिसी पर भी इंटेरेस्ट रेट निर्भर करता है।


