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आपके स्टार्टअप व्यवसाय के वित्तपोषण के लिए विकल्प

by
admin
Posted on
May 28, 2024
Startup financing

भारत में स्टार्टअप की संख्या तेजी से बढ़ रही है। स्टार्टअप एक ऐसी कंपनी होती है जिसकी स्थापना एक या अधिक उद्यमियों द्वारा की जाती है जिनके पास एक मुनाफे वाले बिजनेस का आइडिया होता है और उसे बिजनेस आइडिया के आधार पर वह अपने उत्पादों या सेवा का विकास करना चाहते हैं। यह आमतौर पर वह कंपनी होती है जो कि अपने प्रारंभिक अवस्था में है और जिसको को अभी 10 साल पूरे नहीं हुए हैं और जिसका वार्षिक टर्नओवर एक वित्त वर्ष में 100 करोड रुपए से कम है।

ऐसी कंपनी को चलाने के वित्तीय फंड की जरूरत होती है । संस्थापक आमतौर पर अपने स्टार्टअप को पोषित करने के लिए कई तरह के वित्तीय फंडिंग पर विचार करते हैं जिससे कि वह अपनी कंपनी को जमीन पर उतरने से पहले उसे एक अच्छी संरचना दे सकें। परिणाम स्वरूप वह बाहरी निवेशक को आकर्षित करती है। इस मार्गदर्शिका के द्वारा आप यह जान पाएंगे कि छोटे या बड़े पैमाने पर संचालन करने वाले यह स्टार्टअप कैसे अपने वित्त का पोषण करते हैं। 

स्टार्टअप वित्त पोषण क्या है

तमाम स्टार्टअप वित्तपोषण के लिए समय-समय पर कई तरह की फंडिंग पर विचार करते हैं। यह फंड बिजनेस को शुरू करने या फिर उसका विस्तार करने के लिए जाते हैं। यह किसी भी स्टार्टअप के विकास और विस्तार के लिए बहुत ही आवश्यक निवेश के रूप में कार्य करता है। नए स्टार्टअप फंड अर्जित करके अपने बिजनेस आइडिया को साकार रूप प्रदान करते हैं। इस तरीके से नए उद्यमियों को अपने सपने साकार करने का बराबर मौका मिलता है।

इसके अलावा वह स्टार्टअप जो कि पहले से ही मौजूद हैं उन्हें वित्त पोषण की जरूरत अपने बिजनेस को नया आयाम देने के लिए पड़ती है। वह इसके द्वारा अपनी नई योजनाओं को कार्यान्वित करते हैं।  सही वित्त पोषण के जरिए वह अपने बिजनेस को जोखिम से भी बचा पाते हैं क्योंकि ज्यादातर बिजनेस ऐसे होते हैं जो फंड न होने के कारण प्राय बंद हो जाते हैं और उद्यमियों के एक सफल बिजनेस को चलाने का सपना अधूरा रह जाता है। लेकिन अगर वहीं वह fund raise करके अच्छे से पूंजी जुटा लेते हैं तो उन्हें बिजनेस चलाने में कोई भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। 

इसीलिए स्टार्टअप के पोषण की जरूरत हर एक स्टार्टअप को हर स्तर पर अपना बिजनेस सुचारू रूप से चलने के लिए पड़ती है।

स्टार्टअप वित्त पोषण कैसे कार्य करता है

हमेशा से एक स्टार्टअप के लिए वित्तीय प्रबंधन का महत्व काफी रहा है। यह प्रश्न बार-बार उठना है कि नए स्टार्टअप जो कि अपनी बिजनेस आइडिया को साकार रूप देने के लिए फंड अर्जित करना चाहते हैं वह पैसे कहां से प्राप्त करें क्योंकि शुरुआती दौर में कंपनी की ना तो कोई पहचान होती है जिससे कि कोई उसे लोन प्रदान कर सके और ना ही कोई पूंजी होती है जिसे वह अपने व्यापार में लगा सके। यह बात बिल्कुल सत्य है कि एक स्टार्टअप के लिए शुरुआती दौर में निवेशकों को आकर्षित करना बहुत ही मुश्किल होता है और कई बार कुछ उद्यमी अपने low investment high profit business ideas को जमीन पर नहीं उतार पाते हैं।

लेकिन अगर सही योजना और सही मार्गदर्शन मिले तो कोई भी स्टार्टअप अपने सपने को साकार रूप प्रदान कर सकता है। इसके साथ ही वह अपने बिजनेस को एक सफल भविष्य भी प्रदान कर सकता है।

स्टार्टअप फंडिंग के कई चरण होते हैं। एक स्टार्टअप को वित्त पोषण इकट्ठा करने से पहले अपनी कंपनी के मूल्य को आंकना बहुत जरूरी है। मूल्य आंकते समय उसे अपनी कंपनी से होने वाले लाभ, बाजार विस्तार, जोखिम और प्रतियोगिता पर विचार करना चाहिए। एक बार जब कंपनी का मूल्य तय हो जाता है तब उनके लिए कंपनी की फंडिंग इकट्ठा करना आसान हो जाता है।

स्टार्टअप फंडिंग के चरण

लघु उद्योग स्टार्टअप एक बिजनेस योजना के आधार पर खड़े और विस्तार किए जाते हैं जो कि एक सफल और लाभ अर्जित करने वाली कंपनी बनने से पहले कई तरह के चरणों से होकर गुजरते हैं। स्टार्टअप लोन पोषण उनकी वृद्धि में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

1. स्टार्टअप बिजनेस खोलते समय (Opening Stage)

शुरुआती दौर में एक एंटरप्रेन्योर के पास स्टार्टअप का कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता है उसके पास केवल एक बिजनेस आइडिया होता है जिसके जरिए वह स्टार्टअप खोलना चाहता है। ऐसे समय में उसे छोटे और सीमित फंड की जरूरत होती है और वह ज्यादातर निम्नलिखित अनौपचारिक तरीकों से फंड को जुटाना चाहता है:

  • बूटस्ट्रैपिंग

बूटस्ट्रैपिंग का अर्थ होता है कि किसी भी बिजनेस को कम पूंजी पर खड़ा करना और चलाना। इसके लिए उद्यमी केवल अपनी ही बचत पर भरोसा करते हैं और उसी के आधार पर स्टार्टअप को चलाते हैं और उसका विस्तार करते हैं क्योंकि स्टार्टअप शुरू करने से पहले वह किसी से भी कर्ज लेना या फिर निवेशकों से फंड जुटाना अच्छा नहीं मानते हैं। इसीलिए उनके ऊपर किसी को पैसे देने का भी दबाव नहीं होता है और ना ही किसी से अपने लाभ को बांटने का दबाव होता है।

  • परिवार और मित्र

अगला विकल्प जो कि शुरुआती दौर में एक एंटरप्रेन्योर को अपने स्टार्टअप को खड़ा करने के लिए मदद करता है वह है अपने परिवार और मित्र जनों से फंड जुटाना। यह फंड उन्हें बहुत आसानी से मिल जाते हैं जो कि उनके सबसे जोखिम और प्रतियोगितातमक चरण में काम आते हैं।

  • ग्रांट

कुछ समाजसेवी संस्थान ऐसी भी हैं जो कि स्टार्टअप्स को उनके बिजनेस प्लान की चुनौतियों और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए वित्तीय सहायता पहुंचाने हैं । उद्यमी उनके द्वारा प्रदान किए हुए ग्रांट या वित्तीय पोषण से बिजनेस शुरू करता है। हालांकि उनके द्वारा दिया जाने वाला फंड बहुत ज्यादा नहीं होता है लेकिन शुरुआती दौर में प्रदान की गई राशि बिजनेस आइडिया को साकार रूप देने के लिए काफी होती है।

2. स्टार्टअप की वृद्धि(Growth Stage)

स्टार्टअप की स्थापना कर लेने के पश्चात एंटरप्रेन्योर एक बिजनेस आइडिया की सोच के साथ में काम करता है। वह अपने बिजनेस को और वृद्धि देने के बारे में सोचता है। उचित वित्त पोषण उसके व्यापार को एक नई दिशा देने का काम करता है। इस चरण में वह निम्नलिखित व्यवसाय के वित्त पोषण के स्रोत के जरिए से वित्त पोषण प्राप्त कर सकता है

  • इनक्यूबेटर

इनक्यूबेटर स्टार्टअप को उसके पैरों पर खड़ा होने में मदद देते हैं। यह कई तरह की वैल्यू एडेड सेवाएं प्रदान करते हैं जैसे कानूनी सहायता, प्रशासन, ऑफिस की जगह और अन्य सेवाएं। लेकिन यह कभी भी इन सेवाओं के लिए खर्चा नहीं लेते हैं।

  • सरकारी लोन योजनाएं

सरकार ने स्टार्टअप उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की लोन स्कीमों को उनके हित में शुरू किया है। यह योजनाएं बिना किसी कॉलेटरल के जरूरतमंद उद्यमियों को लोन देती है। कुछ निम्नलिखित सरकारी योजनाएं हैं – प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड अप इंडिया सीड फंड स्कीम, ASPIRE स्कीम, SIDBI fund of fund, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम।

  • एंजेल निवेशक

एंजेल निवेशक स्टार्टअप के विकास के चरण में उद्यमी का काफी सहयोग करते हैं। छोटे उद्योगों को उनकी कंपनी में स्वामित्व के कुछ हिस्से के बदले वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। एंजेल निवेशक से फंड प्राप्त करने का अर्थ यह है कि उद्यमी को कभी भी उन्हें पैसा वापस नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, इसकी सबसे बड़ी हानि है कि एंजेल निवेशक कम से कम 10 से 50% तक के स्वामित्व की मांग करते हैं। कई प्लेटफॉर्म जैसे मुंबई एंजिल्स, एंजेलिस्ट, लीड एंजेल उभरते हुए स्टार्टअप्स को एंजल निवेशकों को ढूंढने में मदद करते है।

  • क्राउड फंडिंग

ऐसे कई सारे प्लेटफार्म है जहां पर ऑनलाइन क्राउड फंडिंग की सुविधा उपलब्ध है। क्राउड फंडिंग का अर्थ है कई लोगों से अपने बिजनेस के लिए फंड जुटाना। हालांकि इसके तहत प्रत्येक निवेशक से कुछ सीमित राशि ही बिजनेस के लिए प्राप्त होती है।

3. स्टार्टअप विस्तार करने के लिए (Expansion Stage)

इस चरण तक पहुंचते हुए स्टार्टअप बाजार में अपने वस्तुओं और सेवाओं को प्रदर्शित कर चुका है और शुरुआती पहचान भी पा चुका है। एक स्टार्टअप के प्रगति के कुछ मापदंड होते हैं जैसे आय, राजस्व, लाभ, और ग्राहकों की संख्या। यह मापदंड फंड इकट्ठा करने में मदद देते हैं जिससे कि एक स्टार्टअप अपने वस्तुओं और सेवाओं का विकास कर सके, न‌ए प्रतियोगितात्मक बाजार में ग्राहकों को ढूंढ सके और अपनी नई शाखाएं खोल सके। निम्नलिखित प्रकार के कई प्रकार के फंड इस चरण में दिए जाते हैं

  • वेंचर कैपिटल फंड

वेंचर कैपिटल फंड इन्वेस्टमेंट फंड होते हैं जिन्हें कि बढ़ते हुए और अच्छी वृद्धि वाले स्टार्टअप में निवेश किया जाता है। एक वेंचर कैपिटल फंड हमेशा कुछ मापदंडों के आधार पर स्टार्टअप को निवेश के रूप में फंड प्रदान करता है। यह मापदंड इस प्रकार हैं स्टार्टअप की अवस्था, स्टार्टअप का आगे का बिजनेस प्लान और फंड की राशि। अगर कोई भी स्टार्टअप इन सभी मापदंडों पर खरा उतरता है तो वेंचर कैपिटल उसमें निवेश करता है और निवेश की राशि के बदले में इक्विटी प्राप्त करता है। 

  • बैंक या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान

अगर स्टार्टअप चाहे तो अनौपचारिक विकल्पों की बजाय औपचारिक विकल्पों का चुनाव भी कर सकते हैं। बैंक या गैर सरकारी बैंकिंग वित्तीय संस्थान आसानी से उन्हें लोन प्रदान कर सकते हैं। लेकिन यह औपचारिक संस्थाएं स्टार्टअप को लोन तभी प्रदान करती हैं जब वह यह है देख लेती हैं कि लोनदाता उनके दिए गए लोन को नियत समय में मूलधन और ब्याज के सहित उन्हें वापस रखने की काबिलियत रखता है। इसका अनुमान वह स्टार्टअप की वार्षिक आय और उसके उत्पादों और सेवाओं की बाजार में पहचान और उपलब्धता के आधार पर लगाता है। इस तरीके का लोन सबसे ज्यादा वर्किंग कैपिटल प्राप्त करने के लिए किया जाता है। 

4. विकसित स्टार्टअप के लिये (Maturity Stage)

इस चरण में यह माना जाता है कि स्टार्टअप अच्छी आय और राजस्व अर्जित कर रहे हैं और उनका बिजनेस बाजार की आंतरिक और बाहरी कारकों के आधार पर प्रभावित नहीं होता है। लेकिन वह अपने बिजनेस को आगे और बढ़ाने के लिए फंड जुटाना चाहते हैं। उन्हें यह फंड नई टेक्नोलॉजी का विस्तार करने और नए बाजारों में अपने ब्रांच खोलने के लिए जरूरी होता है। इस चरण में स्टार्टअप को निम्नलिखित फंड जुटाना के विकल्प मिलते हैं।

  • आईपीओ

जब स्टार्टअप स्टॉक मार्केट में पहली बार अपनी कंपनी को लिस्ट करवाता है तो वह आईपीओ की प्रक्रिया से गुजरता है। इस प्रक्रिया के द्वारा उसे बहुत तेजी से पूंजी जुटाने में मदद मिलती है क्योंकि आम निवेशक उसके शेयर खरीदते हैं।

  • बायबैक

स्टार्टअप उद्यमी अपने शेयर या इक्विटी को पूर्व निवेशकों से बायबैक कर लेते हैं जिससे कि उन्हें काफी मात्रा में वित्तीय फंड प्राप्त होता है। उस वित्तीय फंड का उपयोग वह आगे और शेयर खरीदने के लिए करते हैं। इस तरीके से वह अपने स्टार्टअप के अधिकतम शेयरों के स्वामित्व को हासिल कर लेते हैं।

निष्कर्ष

अगर आप एक उद्यमी बनने का सपना साकार करने की सोच रहे हैं तो आपको यह जानना जरूरी है कि हर एक निर्णय के कुछ लाभ और जोखिम दोनों होते हैं। आप जिस विकल्प का चुनाव करें उसके लाभ और जोखिम के बारे में विचार जरूर करें। इस तरीके से आप बहुत शानदार तरीके से अपने बिजनेस प्लान को जमीन पर उतार पाएंगे और उसके जरिए आपको अच्छी आय और राजस्व कमाने का मौका मिलेगा तथा आपके बिजनेस का जोखिम शून्य हो जाएगा।

संबंधित प्रश्न

Q. 1 भारत में कुल कितने स्टार्टअप हैं?

Ans: अगर स्टार्टअप इंडिया की ऑफिशल वेबसाइट पर जाएं तो वहां के आंकड़ों से पता चलता है कि अभी तक भारत में करीब 115992 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं।

Q. 2 भारत की स्टार्टअप राजधानी कौन सी है?

Ans: बैंगलुरू भारत की मुख्य स्टार्टअप राजधानी के नाम से जानी जाती है।

Q. 3 भारत में सबसे ज्यादा स्टार्टअप कहां स्थित हैं?

Ans: भारत के स्टार्टअप के आंकड़ों का आंकलन किया जाए तो यह पता चलता है कि बेंगलुरु, मुंबई, और एनसीआर दिल्ली में सबसे ज्यादा स्टार्टअप हैं।

Q. 4 स्टार्टअप बनाने के लिए क्या करना चाहिए?

Ans: भारत में किसी भी उद्यमी को स्टार्टअप शुरू करने के लिए निगमन की प्रक्रिया से गुजरना बहुत आवश्यक है। इस प्रक्रिया के तहत कंपनी को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या फिर साझेदारी कंपनी के रूप में आधिकारिक रूप से रजिस्टर करवाना पड़ता है।

Q. 5 स्टार्टअप के लिए फंडिंग कैसे करें?

Ans: भारत स्टार्टअप के लिए फंडिंग करने के कई सारे विकल्प मौजूद हैं कुछ उद्यमी बैंक या फिर गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेकर फंडिंग करते हैं और वहीं दूसरी तरफ कुछ उद्यमी इन्वेस्टर के द्वारा फंडिंग करने का विकल्प ज्यादा उचित समझते हैं। इन्वेस्टर के द्वारा की गई फंडिंग के तहत उद्यमियों को अपने बिजनेस में से कुछ हिस्सेदारी निवेशकों को देनी होती है जिससे कि वह कंपनी के लाभ में हिस्सेदार बन जाते हैं।