भारत में बिजनेस लाइसेंस – टाइप्स, बिजनेस लाइसेंस कैसे प्राप्त करें
Sep 13, 2022
बड़ी कॉरपोरेशन हो या स्मॉल बिजनेस, किसी भी बिजनेस के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। किसी भी दूसरे देश की तरह, भारत में भी बिजनेस के लिए कई तरह के बिजनेस लाइसेंस और परमिट लेने होते हैं और जरूरत के अनुसार समय-समय पर उनको रिन्यू भी कराना होता है। हालांकि, लाइसेंस लेना कॉम्प्लिकेटेड और कंफ्यूज करने वाला काम हो सकता है, खासकर कम सुविधाओं वाले स्मॉल बिजनेस के लिए।
भारत में बिजनेस लाइसेंस लेने का प्रोसेस खास क्राइटेरिया के आधार पर अलग-अलग बिजनेस के लिए अलग-अलग होता है जैसे बिजनेस का साइज़, बिजनेस का टाइप, सेक्टर, जिओग्राफिकल ज्यूरीसडिक्शन आदि।
बिजनेस लाइसेंस क्या होता है?
बिजनेस लाइसेंस गवर्नमेंट एजेंसियों द्वारा जारी किया गया एक लीगल डॉक्यूमेंट है जो आपको उस जमीन पर ज्यूडिशियल गाइडलाइन के अनुसार एक स्पेसिफिक बिजनेस करने की परमीशन देता है।
बिजनेस लाइसेंस प्राप्त करने के क्या फायदे हैं?
बिजनेस लाइसेंस आपके बिजनेस को सेंट्रल और स्टेट रेगुलेशंस के तहत काम करने की परमीशन देता है। लाइसेंस नहीं लेने या उसे समय पर रिन्यू नहीं करवाने पर आपके यूनिट को पेनल्टी भुगतनी पड़ सकती है, या, बिजनेस परमानेंट बंद भी हो सकता है।
बिजनेस लाइसेंस लेने के कुछ फायदे यहां दिए गए हैं:
- रेगुलेशंस का पालन करने से बिजनेस को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया या अन्य ऑर्गेनाइजेशन द्वारा दी जाने वाली विभिन्न फैसिलिटीस, स्कीम्स, सब्सिडी और सपोर्ट जैसे फायदे मिलने लगते है। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा दिए जाने वाले बेस्ट बिजनेस लोन के बारे में ज्यादा जानें।
- एक और फायदा यह है कि नेगोटिएशन्स के प्रोसेस के दौरान लाइसेंस वाले बिजनेस दूसरों, जो अभी लाइसेंस लेने की प्रोसेस में हैं, से आगे बढ़ने में एक कदम आगे होते है।
- बिजनेस लाइसेंस से पब्लिक और अन्य स्टेकहोल्डर्स में बिजनेस के प्रति विश्वास पैदा होता है, जो एक बिजनेस को उनके काम के प्रति अकाउंटेबल बनाता है।
भारत में बिजनेस लाइसेंस कैसे प्राप्त करें?
बिजनेस लाइसेंस प्राप्त करने का प्रोसेस, बिजनेस के टाइप, लोकेशन, साइज़ आदि पर निर्भर करता है। हालांकि, रजिस्ट्रेशन में स्पेसिफिक मैंडेटरी रजिस्ट्रेशन्स जो ज्यादातर स्टेट्स में कॉमन हैं, वह इस प्रकार हैं:
बिजनेस नेम रजिस्ट्रेशन: कॉपीराइट या अन्य उल्लंघन की समस्याओं से बचने के लिए बिजनेस या ब्रांड नेम को जल्द से जल्द रजिस्टर कराने की सलाह दी जाती है।
GST रजिस्ट्रेशन: एंटरप्रेन्योर्स को GST एक्ट की विभिन्न गाइडलाइन के बारे में पता होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर रजिस्ट्रेशन और अन्य कंप्लायंस पूरी करनी चाहिए।
स्टेट बिजनेस लाइसेंस: सभी बिजनेस एंटिटीस को स्टेट गवर्नमेंट रेगुलेशंस के तहत जहां-कहीं भी जरूरी हो, बिजनेस लाइसेंस प्राप्त करना होगा।
सही समय पर सही बिजनेस लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक्सपर्ट और प्रोफेशनल असिस्टेंस प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। यह पेनल्टी और गलती की संभावना को कम करने में मदद करेगा। किसी भी तरह का बिजनेस को सेट अप करते समय विभिन्न परमिट भी अनिवार्य होते हैं।
भारत में बिजनेस लाइसेंस के टाइप्स
भारत में सबसे लोकप्रिय टाइप के बिजनेस लाइसेंस को निम्नानुसार केटेगराइज़ किया जा सकता है:
कंपनी लाइसेंस
भारत में कंपनियों और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) का रजिस्ट्रेशन मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स द्वारा कंट्रोल किया जाता है। यहां कंपनी के रूप में रजिस्ट्रेशन बिजनेस के लिए एक स्थायी एक्सिस्टेंस, अलग लीगल आइडेंटिटी और लिमिटेड लायबिलिटी प्रोटेक्शन प्रदान करता है। एक तय लिमिट से ज्यादा टर्नओवर बढ़ने के बाद, यह रजिस्ट्रेशन बिजनेस को सिस्टमैटिकली ग्रो और एक्सपैंड करने में मदद करेगा।
कंपनी एक्ट, 2013 के अनुसार कंपनियों के विभिन्न रूप यहां दिए गए हैं:
वन पर्सन कंपनी (OPC): वन पर्सन कंपनी रजिस्ट्रेशन के कांसेप्ट को 2013 में पेश किया गया था, और यह सोल प्रोपराइटर को अपना बिजनेस रजिस्टर करने और लीगल तरीके से अपने बिजनेस ऑपरेशन्स को संचालित करने की परमीशन देता है।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (PLC): ऐसी कंपनी जो स्पेसिफिक ग्रुप में शेयरहोल्डर्स को रिस्ट्रिक्ट करना पसंद करती है।
पब्लिक लिमिटेड कंपनी (PLC): पब्लिक लिमिटेड कंपनी एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से अलग होती है, क्योंकि यह किसी भी स्पेसिफिक ग्रुप की कोई भी स्पेसिफिक प्रेफरेंस के बिना, जनरल पब्लिक को शेयरहोल्डर्स के रूप में कंपनी में इनवेस्ट करने के लिए मौका दे सकती है।
GST रजिस्ट्रेशन
टर्नओवर की तय लिमिट से ऊपर आने वाली बिजनेस एंटिटी और इंटर-स्टेट सप्लाई करने वाले बिजनेस को गुड्स और सर्विस टैक्स के तहत रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। ऐसे कई एडिशनल क्राइटेरिया हैं जो बिजनेस के लिए GST रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से आवश्यक बनाते है। नए बिजनेस का GST रजिस्ट्रेशन, पहले से तय टाइम पीरियड के अंदर ऑनलाइन किया जाना जरुरी हैं। GST के तहत बिजनेस को रजिस्टर करने के लिए डाक्यूमेंट्स चेकलिस्ट देखें।
उद्यम के तहत रजिस्ट्रेशन
उद्यम ऑनलाइन पोर्टल भारत में स्मॉल बिजनेस के लिए रजिस्ट्रेशन को मैनेज करता है। वैसे उद्यम के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य तो नहीं है, पर इस रजिस्ट्रेशन से जुड़े कई फायदे, जैसे कि गवर्नमेंट लोन स्कीम्स, सब्सिडी आदि जरूर हैं जो इसे एक अच्छा ऑप्शन बनाते हैं। उद्यम रजिस्ट्रेशन के लिए एलिजिबिलिटी कंडीशंस को कम्पोज़िट क्राइटेरिया के अनुसार, जैसे प्लांट और मशीनरी में इनवेस्टमेंट और बिजनेस के टर्नओवर के अनुसार तय किया गया है। स्मॉल बिजनेस रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के बारे में ज्यादा जानें।
FSSAI लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन
फ़ूड सेफ्टी और स्टेंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) भारत में फ़ूड प्रॉडक्ट्स की सेफ्टी और स्टैंडराइजेशन सुनिश्चित करने की रेगुलेटरी अथॉरिटी है। सभी रिटेल स्टोर, ट्रेड आउटलेट, कियोस्क, फ़ूड आइटम बेचना, रेस्टॉरेंट, कैटरर्स, क्लाउड किचन को FSSAI के तहत लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन लेना और समय-समय पर उसको रिन्यू करना जरूरी है। लाइसेंसिंग या रजिस्ट्रेशन जरूरत को निम्नानुसार बांटा गया है:
- FSSAI बेसिक रजिस्ट्रेशन: 12 लाख रुपये तक के टर्नओवर के लिए
- FSSAI स्टेट लाइसेंस: 12 लाख रुपये से 20 करोड़ रुपये के बीच के टर्नओवर के लिए
- FSSAI सेंट्रल लाइसेंस: 20 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर के लिए
FSSAI रजिस्ट्रेशन पर अधिक जानकारी प्राप्त करें।
इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड
भारत में, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट बिजनेस को एक स्पेशल लाइसेंस की जरूरत होती है जिसे इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड के रूप में जाना जाता है, जिसे डायरेक्टरेट जनरल फॉरेन ट्रेड (DGFT), मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के तहत इशू करता है। रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन, DGFT वेबसाइट पर, मैंडेटरी डॉक्यूमेंट जमा करके प्राप्त किया जा सकता है। मैंडेटरी डॉक्यूमेंट PAN कार्ड, एड्रेस प्रूफ के साथ आइडेंटिटी कार्ड, बिजनेस रेजिडेंस प्रूफ, करंट बैंक अकाउंट प्रूफ आदि हैं।
भारत में रिटेल स्टोर खोलने के लिए जरूरी लाइसेंस
भारत में रिटेल स्टोर खोलने के लिए, “शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट एक्ट” के तहत लाइसेंस लेना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन स्टेट गवर्नमेंट द्वारा जारी किया जाता है, और इसलिए भारत में इस लाइसेंस की गाइडलाइन्स भी एक स्टेट से दूसरे स्टेट में अलग-अलग होती हैं। एक्ट उस एरिया की सभी दुकानों और कमर्शिअल एस्टेब्लिशमेंट को रेगुलेट करता है और चाइल्ड लेबर, वर्किंग हॉर्स, वर्किंग कंडीशंस, सैलरी पॉलिसी आदि पर निगरानी रखता है।
भारत में ऑनलाइन बिजनेस के लिए ट्रेड लाइसेंस
MSME लोन, ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध होने के कारण, कई स्मॉल एंटरप्रेन्योर्स वर्चुअल माध्यम को पसंदीदा बिजनेस मोड के रूप में देख रहे हैं। स्मॉल बिजनेस के लिए, सोल प्रोपराइटरशिप बिजनेस चलाने का सबसे सुविधाजनक तरीका है, क्योंकि इसमें कम कम्प्लॉयंस का पालन किया जाता है। शॉप एंड इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत, सोल प्रोपराइटरशिप भी ट्रेडिशनल शॉप्स की तरह ही ट्रेडिंग लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं।
भारत में फैक्ट्री के लिए जरूरी लाइसेंस
भारत में फैक्ट्री चलाने के लिए फैक्ट्री एक्ट,1948 के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, जिसे स्टेट गवर्नमेंट ग्रांट करती है। बिजनेस टाइप और स्टेट रेगुलेशंस के अनुसार सेफ्टी, वेलफेयर और लेबर मेजर्स के तहत अतिरिक्त परमिट की जरूरत भी हो सकती है।
अन्य लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन
ऐसे कई अन्य बिजनेस हैं जो ऊपर दी गई लिस्ट में शामिल नहीं हैं। पब्लिक और एन्वायरमेंटल वेलफेयर सुनिश्चित करने के लिए, गवर्नमेंट जहां भी जरूरी समझती है, लाइसेंसिंग और परमिट को अनिवार्य करती है। उदाहरण के लिए, इंश्योरेंस प्रोवाइडर्स को इंश्योरेंस रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा रेगुलेट किया जाता है, और भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकिंग और माइक्रोफाइनेंस सेक्टर्स को कंट्रोल करता है।
बिजनेस लाइसेंस एलिजिबिलिटी
बिजनेस लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए बेसिक एलिजिबिलिटी इस प्रकार हैं:
- एप्लिकेंट माइनर नहीं होना चाहिए यानी एप्लिकेंट कम से कम अठारह वर्ष का होना चाहिए.
- एप्लिकेंट किसी गंभीर अपराध के लिए लीगल प्रोबेशन में नहीं होना चाहिए।
- बिजनेस लीगल होना चाहिए।
ज़रूरी डाक्यूमेंट्स
विभिन्न प्रकार की अथॉरिटीज और बिजनेस के टाइप के अनुसार डाक्यूमेंट्स की रेक्विरमेंट्स अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए मैंडेटरी डाक्यूमेंट्स की एक जनरल चेकलिस्ट नीचे दी गई है:
- Pan कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस/वोटर ID/आधार कार्ड
- पासपोर्ट
- बैंक स्टेटमेंट
- लैंडलॉर्ड से एड्रेस प्रूफ या नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
- रेंट एग्रीमेंट या लीज एग्रीमेंट
- अथॉरिटी लेटर ऑफ बिजनेस
- मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन
- पार्टनरशिप डीड
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या बिजनेस लाइसेंस और परमिट एक ही चीज है?
बिजनेस लाइसेंस और परमिट अलग अलग होते हैं। बिजनेस लाइसेंस कंफर्म करता है कि आपका बिजनेस स्टेट के रूल्स और रेगुलेशंस का पालन करता है, जबकि परमिट आमतौर पर यह सुनिश्चित करते हैं कि बिजनेस सेफ्टी और प्रीकॉशनरी मेजर्स को फॉलो करता है।
आप बिजनेस लाइसेंस कैसे प्राप्त कर करते हैं?
जिस जगह आपका बिजनेस लोकेटेड है, उस स्टेट के स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफिस या वेबसाइट पर जाकर आप बिजनेस लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं।
बिजनेस लाइसेंस और परमिट के विभिन्न टाइप्स क्या हैं?
- कंपनी लाइसेंस
- GST रजिस्ट्रेशन
- स्मॉल बिजनेस रजिस्ट्रेशन
- FSSAI लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन
- इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड
- भारत में रिटेल स्टोर खोलने के लिए जरूरी लाइसेंस
- भारत में ऑनलाइन बिजनेस के लिए ट्रेड लाइसेंस
- भारत में फैक्ट्री के लिए जरूरी लाइसेंस
अगर आप एक बिजनेस चला रहे हैं पर आपके पास बिजनेस लाइसेंस नहीं है, तो क्या होगा?
रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा नॉन-कम्प्लॉयंस के मामलों में बिजनेस को पेनलाइज या बंद करने के लिए भी कहा जा सकता है।